गांव का लाडला जंगली हाथी
२६ अगस्त २०१५हाथी दांतों वाले इस नर जंगली हाथी को पहली बार तमिनलाडु के नीलगिरी जंगल से घिरे सिगुर इलाके में देखा गया. तब उसकी हालत नाजुक थी. सूंड़ चोटिल थी, जिसके चलते वह चर भी नहीं पा रहा था. तभी इस हाथी पर सिगुर में रिजॉर्ट चलाने वाले मार्क की नजर पड़ी. मार्क ने रोज हाथी को हाथ से खिलाना शुरू किया. मार्क ने हाथी का नाम भी रखा, रिवाल्डो. धीरे धीरे रिवाल्डो आए दिन इलाके में आने जाने लगा. मार्क उसे खाना खिलाते. लेकिन इस बीच मार्क का निधन हो गया.
भारतीय दैनिक द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार रिवाल्डो फिर अकेला पड़ गया, उसे खाना खिलाने वाला कोई नहीं बचा. पुराना घाव फिर हरा होने लगा. वन्य जीवप्रेमियों ने वन विभाग से रिवाल्डो की मदद करने को कहा. यह बात वन विभाग के एक कर्मचारी पंडान तक पहुंची. पंडान ने चारे के साथ दवाएं मिलाकर रिवाल्डो का इलाज शुरू किया. वक्त बीतने के साथ रिवाल्डो फिट हो गया.
अब पंडान जहां जाते हैं 22 साल का विशाल रिवाल्डो, बच्चे की तरह उनके पीछे लगा रहता है. अगर रिवाल्डो कभी नजरों से ओझल भी हुआ तो पंडान की एक आवाज में वो सामने आ जाता है. सिगुर के पुल के पास अब बड़ी संख्या में सैलानी भी दोस्ताना व्यवहार वाले जम्बो को देखने आ रहे हैं. कुछ लोग सेल्फी भी लेते हैं. इस बीच वन विभाग ने रिवाल्डो के साथ एक कर्मचारी भी नियुक्त कर दिया है. डिविजनल फॉरेस्ट अफसर सी बद्रास्वामी के मुताबिक, "रिवाल्डो भले ही दोस्ताना हो, लेकिन असल में तो वह एक जंगली जानवर ही है और उसका व्यवहार कभी भी बदल सकता है. इंसानों और गाड़ियों का शोर उसे भड़का सकता है." वन विभाग ने पर्यटकों से अपील की है कि वे रिवाल्डो से सुरक्षित दूरी बनाकर रखें और उसका रास्ता रोकने की कोशिश न करें.
ओएसजे/एमजे