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खोमचे वालों का ऑनलाइन पंजीकरण

२९ अप्रैल २०१४

रेहड़ी पटरी वालों से कुछ खरीदकर खाने से हिचकने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. नए कानूनों के तहत उन्हें साफ सफाई रखने का निर्देश दिया गया है और इसके लिए उनका पंजीकरण भी शुरु हो गया है.

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तस्वीर: DW

रेहड़ी पटरी वालों से कुछ खरीदकर खाने से हिचकने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. नए कानूनों के तहत उन्हें साफ सफाई रखने का निर्देश दिया गया है और इसके लिए उनका पंजीकरण भी शुरु हो गया है.

देश में करीब 2.5 करोड़ रेहड़ी पटरी वाले हैं जिनमें करीब 20 प्रतिशत छोले कुलचे, चाट पकौड़े, जलेबी या खाना बेचने का काम करते हैं. अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन रेहड़ी पटरी वालों का ऑनलाइन पंजीकरण करने की व्यवस्था शुरु कर दी है ताकि उन्हें प्रशिक्षण देकर खाने में गुणवत्ता के अलावा साफ सफाई का भी ख्याल रखा जा सके.

नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर ऑफ इंडिया (नासवी), भारतीय रेहड़ी पटरी महासंघ के बैनर तले दिल्ली में अब तक 350 खोमचे वालों का पंजीकरण किया गया है. नासवी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद सिंह ने समाचार एजेंसी यूनीवार्ता को बताया कि अभियान के तहत दिल्ली के सरोजिनी नगर इलाके के 100 स्थानीय खोमचे वालों के भोजन की ब्रैंडिंग का कार्यक्रम भी शुरु किया गया है. इस कार्यक्रम के तहत खोमचे वालों को सफाई किट भी दी गयी और उन्हें दस्ताने, टोपी तथा एप्रेन भी दिए गए.

उन्होंने बताया, "दिल्ली में करीब दो से तीन लाख खोमचे वाले हैं. उन सबका पंजीकरण करने में काफी समय लग जाएगा और इसके लिए जागरुकता अभियान चलाना होगा." अरविंद सिंह के अनुसार इस तरह का कार्यक्रम पूरे देश में चलाया जाएगा. इससे रेहड़ी पटरी वालों को पेशेवर स्वरूप भी मिलेगा और ग्राहक उनकी तरफ और आकर्षित होंगे. उन्होंने कहा, "अब तक कई लोग साफ सफाई तथा गुणवत्ता के डर से खोमचे वालों का भोजन करने से कतराते थे. लेकिन जब इन खोमचे वालों का पंजीकरण हो जाएगा तो लोगों की आशंका भी दूर होगी और वे सहर्ष वहां से खाना खा पाएंगे."

अरविंद सिंह ने बताया कि खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना हो जाने के बाद सालाना 12 लाख रुपये की आय वाले रेस्तरां को लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है और दो लाख रुपये से कम आय वाली दुकानों तथा खोमचे वालों को अपना पंजीकरण कराना भी अनिवार्य हो गया है. गौरतलब है कि नासवी के प्रयासों से संसद के पिछले सत्र में रेहड़ी पटरी वालों की सुरक्षा के लिए पहली बार देश में कानून बनाया गया.

आईबी/एमजे (वार्ता)