खेलों से खुलता म्यांमार
१० दिसम्बर २०१३बुधवार को उद्घाटन समारोह राजधानी नेपीदाव में होगा. 30,000 दर्शकों की क्षमता वाले स्टेडियम में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. बर्मा के नाम से जाने जाने वाले म्यांमार ने इससे पहले 44 साल पहले ये खेल आयोजित किए थे. दक्षिणपूर्व एशिया खेल दो साल पर होते हैं. खेलों का मकसद कम प्रतिस्पर्धा के बीच राष्ट्रीय खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना है. इसमें मार्शल आर्ट्स जैसी विधाएं भी हैं.
2011 में सैन्य शासन खत्म होने के बाद देश में राजनीतिक और आर्थिक सुधार चल रहे हैं. खेल इसी प्रक्रिया का हिस्सा हैं. खेलों को लेकर जनता में भी बड़ा उत्साह है. कई लोग इसे विदेशी नागरिकों से मेल मिलाप का मौका मानते हैं. 20 साल के टूर गाइड मोह मोह नाय विन कहते हैं, "ये हमारे लिए अच्छा है. काफी समय तक लोगों को पता ही नहीं था कि म्यांमार क्या चीज है. हमें पता नहीं था कि दूसरे लोग कैसे हैं. ये मौका इस माहौल को बदलने का है."
म्यांमार का मीडिया हाल तक सरकारी नियंत्रण में रहा. लेकिन अब मीडिया आजाद है और खेलों को लेकर खासा उत्साह जगा रहा है. म्यांमार के वरिष्ठ पत्रकार थिहा सा कहते हैं, "दक्षिणपूर्व एशिया खेल देश की प्रतिष्ठा के लिए अहम हैं. हमने बीते 44 साल से ऐसा कोई आयोजन नहीं किया. अब मिली मेजबानी से देश का सम्मान बढ़ेगा."
22 दिन तक चलने वाले इन खेलों के दौरान ज्यादातर प्रतियोगिताएं नेपीदाओ में ही होंगी. इनमें फुटबॉल, बॉडी बिल्डिंग, भारोत्तोलन, केम्पो और मार्शल आर्ट जैसे मुकाबले हैं.
हालांकि इस उत्साह के बीच स्टेडियम की सीटें खाली रहने की आशंका भी है. स्थानीय छात्रों को मुफ्त में खेल देखने का न्योता दिया गया है. खेलों में म्यांमार, इंडोनेशिया, कंबोडिया, मलेशिया, लाओस, सिंगापुर, थाइलैंड, वियतनाम, ब्रूनेई, फिलीपींस और पूर्वी तिमोर हिस्सा ले रहे हैं.
ओएसजे/एजेए (एएफपी)