खुशवंत सिंह का निधन
२० मार्च २०१४उनके बेटे राहुल सिंह ने बताया कि उनका दिल्ली में घर पर निधन हुआ, "उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. वह इतने भी बीमार नहीं थे. अभी हाल ही में उन्होंने लिखना छोड़ा था. वह अभी भी अखबार और किताबें पढ़ते थे. मानसिक तौर पर ठीक थे और जिंदगी अच्छे से जी रहे थे."
खुशवंत सिंह ने 100 से भी ज्यादा किताबें लिखीं और लगातार अखबारों में अपने स्तंभ लिखते रहते थे. उन्होंने करीब नौ साल पहले कहा था, "मुझे नहीं पता कि अगर मैं लिखूंगा नहीं तो अपने साथ क्या करूंगा. मैं आराम करने की कला भूल चुका हूं."
2 फरवरी, 1915 को सिख परिवार में जन्मे खुशवंत सिंह की कई किताबें सेक्स की वजह से स्कैंडलों में भी फंसी. उनकी सबसे चर्चित किताब 'ट्रेन टू पाकिस्तान' है, जो 1947 के भारत पाकिस्तान बंटवारे पर लिखी गई. वह पेशे से वकील थे और उन्होंने लाहौर में वकालत भी की. लेखक बाद में बने. भारत के बंटवारे के बाद उन्होंने लिखने पर ध्यान दिया. खुद सिंह के शब्दों में, "मैंने वकालत छोड़ दी. मैंने सोचा कि मैं दूसरों के मामले में दखल दे देकर अपनी पूरी जिंदगी बर्बाद नहीं करूंगा."
दिल्ली आने के बाद उनके पिता एक प्रोपर्टी डेवलपर बन गए. खुशवंत सिंह ने 1947 में राजनयिक सेवा में काम शुरू किया लेकिन जल्द ही इससे ऊब गए और पत्रकार बन गए. साल 2001 में जब उन्होंने भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त की बेटी के गाल पर चुंबन लिया, तो इस पर जबरदस्त विवाद हुआ. उस वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच खासा तनाव चल रहा था. इस मुद्दे पर पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त को बुला कर जवाब तलब भी किया.
एजेए/आईबी (एएफपी)