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खुराक में छुपा सेहत का राज

१३ अगस्त २०१४

पृथ्वी पर हर तरह की जिंदगी समय के साथ बूढ़ी होती है और फिर खत्म हो जाती है. लेकिन क्या बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा और ज्यादा सेहतमंद बनाया जा सकता है. जर्मनी में कई भारतीय वैज्ञानिक इसी पर रिसर्च कर रहे हैं.

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तस्वीर: Fotolia/Africa Studio

पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों में अपनों को पहचानने की कोशिश करती रेनाटे क्लोट्स. वो बुढ़ापे में सामने आने वाली दिमागी बीमारी अल्जाइमर से लड़ रही हैं. उनके दिमाग के कोशिशकाएं धीरे धीरे खत्म हो रही हैं. इसका पहला असर उनकी यादाश्त पर पड़ता है. धीरे धीरे पूरा दिमाग खत्म होने लगता है.

अल्जाइमर से अब तक न तो कोई मरीज जीत पाया है और न ही मेडिकल साइंस. आम तौर पर बुढ़ापे में कैंसर, कार्डियोवैस्कुलर और न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारियां सामने आती हैं.

क्या है बुढ़ापा

जर्मनी के कोलोन शहर में माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजी ऑफ एजिंग में बुढ़ापे से जुड़ी समस्याओं पर रिसर्च हो रही है. आंचल श्रीवास्तव चूहों और फ्रूट फ्लाई कही जाने वाली मक्खियों के जरिेए समझने की कोशिश कर रही हैं कि बुढ़ापा शरीर को कैसे खत्म करता है. फ्रूट फ्लाई ऐसी छोटी मक्खियां हैं जो सड़ते फलों पर मंडराती हैं. ऐसी मक्खियों का जीवनकाल 60 से 80 दिन के बीच होता है. आंचल के मुताबिक लैब में इन मक्खियों के सहारे बुढ़ापे के कई संकेत दिखाई पड़ते हैं. ऐसा ही इंसानों में भी होता है, "समय के साथ हमारी कोशिकाएं विघटित होती हैं. हमारी मेटाबॉलिज्म उतनी इफेक्टिव नहीं रह जाती है और हमारा रोग प्रतिरोधी तंत्र कमजोर हो जाता है. हमारे अंगों के मूलभूत तंत्र में कोशिकाओं के बीच आपसी संवाद चलता है, ये कमजोर पड़ जाता है. इन सबका नतीजा यह होता है कि पूरे का पूरा इंसानी शरीर कमजोर होने लगता है और आगे चलकर मौत आती है. इसी को एजिंग कहते हैं."

Gemüse als Pausen-Snack
फल और सब्जियां बेहद फायदेमंदतस्वीर: picture-alliance/ZB

व्यवहार बदलता बुढ़ापा

इंस्टीट्यूट में ही चिराग जैन लैब में फ्रूट फ्लाई पर अलग अलग किस्म के खाने और तापमान के असर पर परीक्षण कर रहे हैं. आम तौर पर ये मक्खियां नेगेटिव जियोटैक्सिस की वजह से गुरुत्व बल के उलट, ऊपर की तरफ जाती है. लेकिन अगर वो ऐसा न करें तो, "इसका मतलब यह हो सकता है कि फ्लाइज में उम्र से संबंधित कोई गड़बड़ी है. ये गड़बड़ी क्या है. हमें जाहिर तौर पर पता है कि ऊपर चढ़ने के लिए मांस पेशियों की जरूरत होती है और अगर उनकी चढ़ाई की क्षमता में कोई दिक्कत है तो इसका मतलब है कि उनकी मांसपेशियां विघटित होना शुरू हो गई हैं."

उम्मीद की किरण

यहीं रिसर्च करने वाले वर्णेश टिक्कू के मुताबिक रेंगने वाले कीड़ों से लेकर इंसानों तक में बुढ़ापा, कई एक जैसे बदलाव लाता है. स्लाइड में बायीं तरफ बुजुर्ग कीड़ा है तो दूसरी तरफ सेहतमंद. वर्णेश कहते हैं, "हम अलग अलग तरह के ऑर्गेनिज्म्स स्टडी कर चुके हैं और कुछ ऐसे जीन्स, कुछ ऐसे पाथवेज मिले हैं जो हर प्रजाति में मिलते हैं. इसका अहम उदाहरण इंसुलिन सिग्नलिंग पाथवे है जो कीड़ों से लेकर स्तनधारियों में पाया जाता है. हमने हर एक सिस्टम में स्टडी किया है, और हर एक सिस्टम से हमें सबूत मिला है कि ये एजिंग रेगुलेट, लाइफस्पैन रेगुलेट करता है."

Sport und Fitness in der Stadt
शारीरिक श्रम भी जरूरीतस्वीर: Fotolia/Kzenon

कम खाएं, बढ़िया खाएं

फलों, रंग बिरंगी सब्जियों, दूध और दही से हमें आसानी से विटामिन, प्रोटीन, एंटी ऑक्सीडेंट्स, मिनरल्स, मार्कोमिनरल्स, फैटी एसिड, फैट, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट जैसी पौष्टिक चीजें मिलती हैं और ये हमारे स्वास्थ्य में बड़ी भूमिका निभाती हैं.

सीनियर रिसर्चर सेबास्टियान ग्रोनके के मुताबिक कम मात्रा में खाना लेकिन पौष्टिक आहार लेना उम्र के असर को टालने में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाता है, "बहुत ज्यादा तो नहीं, लेकिन कुछ ऐसे शोध हुए हैं जो शारीरिक श्रम की भूमिका के बारे में बताते हैं, लेकिन लंबी उम्र के साथ इनका बहुत करीबी रिश्ता सामने नहीं आया है. हालांकि कसरत करने से जिदंगी सेहतमंद रहती है. प्रयोगशाला के माहौल में देखा गया है कि लंबी जिंदगी में पोषक तत्वों की बड़ी भूमिका होती है. तो मैं कह सकता हूं कि पोषक तत्वों की भूमिका कसरत से ज्यादा है. लेकिन सबसे अच्छा संतुलन यह है कि पोषक तत्वों वाली खुराक और कुछ कसरत."

कम लेकिन पौष्टिक खाना और हर दिन समय निकालकर थोड़ी बहुत कसरत, डायबिटीज, दिल और दिमागी बीमारियों को दूर रखने में खासी भूमिका निभाते हैं. फैसला अब आपका है कि आप कुर्सी से चिपके रहना चाहते हैं या फिर सेहतमंद जिंदगी के साथ आगे बढ़ते हैं.

रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी

संपादन: महेश झा