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खुद घटेगा मोटापा

२३ मार्च २०१५

दुनिया भर में एक तिहाई लोग मोटापे का शिकार हैं. जर्मनी में पचास फीसदी से अधिक वयस्क मोटापे से जूझ रहे हैं. खास कर पुरुष. कितना अच्छा होता अगर चर्बी खुद ब खुद पिघल जाती, वैज्ञानिक ऐसा ही करने जा रहे हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

बॉन में इंस्टीट्यूट फॉर फार्मोकॉलोजी एंड टॉक्सिकोलॉजी इसी सवाल का जवाब तलाशने में लगा है. आलेक्जांडर फाइफर की टीम पता कर रही है कि शरीर से अत्याधिक वसा को कैसे हटाया जा सकता है. शोध की सबसे जरूरी बात कि चर्बी हमेशा एक जैसी नहीं होती. प्रोफेसर आलेक्जांडर फाइफर के मुताबिक, "वसा की कोशिकाएं दो तरह की होती हैं: भूरी और सफेद. सफेद कोशिकाएं शरीर में ऊर्जा को बचा कर रखती हैं, जबकि भूरी ऊर्जा को खर्च करने का काम करती हैं. यूं समझ लीजिए कि ये हमारे शरीर में मौजूद एक भट्टी की तरह हैं."

वसा का क्या काम

पेट और टांगों पर मौजूद चर्बी सफेद कोशिकाओं से मिल कर बनती है. इनका आकार काफी बड़ा होता है. शरीर को जब ऊर्जा की जरूरत नहीं होती तो वह इनमें वसा को समेट लेता है. हमारे शरीर का बीस फीसदी भार इसी से बनता है. अगर इसकी मात्रा बढ़ जाए तो यह परेशानी का सबब बन जाती है. फाइफर कहते हैं, "जब आप बहुत ज्यादा खा लेते हैं, तो ये सफेद कोशिकाएं फैलने लगती हैं, इनका आकार बढ़ने लगता है और आपका वजन भी. दिक्कत तब आती है जब यह सफेद चर्बी शरीर में जलने लगती है. इससे मधुमेह हो सकता है, दिल का दौरा पड़ सकता है. यहां तक कि यह कैंसर को भी जन्म दे सकता है और मोटापे की समस्या तो है ही."

Adipositas in Deutschland
जरूरी है शारीरिक हलचलतस्वीर: picture-alliance/dpa

इसके विपरीत भूरी कोशिकाओं में वसा की कई छोटी छोटी बूंदें होती हैं. ये ऊर्जा को जलाने और शरीर के तापमान को स्थिर बनाए रखने का काम करती हैं. एक वयस्क के शरीर के गर्दन और कंधे के हिस्से में करीब पचास ग्राम भूरी वसा जमा रहती है. ]

बॉन के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि शरीर के कौन से अणु भूरी वसा को सक्रिय करने के लिए जिम्मेदार हैं. एडिनोसिन नाम के अणु भूरी कोशिकाओं के रिसेप्टर से जुड़ कर वसा को जलाने का काम करते हैं. चूहों में देखा गया है कि ऐसे में उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है. प्रोफेसर फाइफर इसे समझाते हैं, "एडिनोसिन की भूरी कोशिकाओं की भूमिका समझने के लिए हमने चूहों में एडिनोसिन के रिसेप्टर को नष्ट कर दिया. और आप यहां देख सकते हैं कि जिन चूहों में ये रिसेप्टर नहीं हैं, वे ठंडे हैं. यह इंफ्रारेड रिकॉर्डिंग है. और जिस चूहे में रिसेप्टर है, जिसमें सामान्य मात्रा में एडिनोसिन है, वह बहुत आराम से भूरी वसा को सक्रिय कर सकता है. यहां यह सफेद धब्बा साफ दिख रहा है. यहां तापमान बहुत ज्यादा है क्योंकि भूरी वसा सक्रिय है."

Obst und Gemuesekorb
फल और साग सब्जियां खाएंतस्वीर: picture alliance/chromorange

वसा में बदलाव

वैज्ञानिकों ने इस ओर भी ध्यान दिया कि क्या सफेद कोशिकाओं को भूरी में बदला जा सकता है और क्या इस तरह आसानी से सफेद चर्बी को जला कर उसकी मात्रा कम की जा सकती है. सफेद चर्बी इस तरह से सक्रिय नहीं हो पाती है क्योंकि उसमें एडिनोसिन के रिसेप्टर नहीं होते. लेकिन अगर चूहों में एडिनोसिन रिसेप्टर के जीन को ट्रांसफर कर दिया जाए, तो उनमें रिसेप्टर बनने लगता है. फिर ये भूरी कोशिकाओं की ही तरह बर्ताव करने लगती हैं, चर्बी जलने लगती है और चूहों का वजन घटने लगता है.

बॉन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक विज्ञान मोटापे की बीमारी के इलाज के लिए एक शुरुआती बिंदु की तलाश में है और लगता है कि एडिनोसिन वह हो सकता है. इससे ना केवल भूरी वसा जल सकती है, बल्कि सफेद वसा भूरी में तब्दील की जा सकती है. यह ऊर्जा को बचाएगा और खर्चेगा भी. वजन कम करने के लिए दवा बनने और इंसानों पर उसके सफल टेस्ट में तो अभी सालों लगेंगे. तब तक वजन कम करने के लिए कसरत करें और फास्ट फूड से दूर रहें.

मार्टिन रीबे/आईबी