खाली कुर्सी को दिया गया नोबेल
१० दिसम्बर २०१०यह कुर्सी नोबेल शांति पुरस्कार विजेता चीन के लिऊ शियाओबो के लिए रखी गई थी. शियाओबो इस वक्त चीन की एक जेल में बंद हैं और चीन ने उन्हें या उनके किसी रिश्तेदार को भी समारोह में शामिल होने की इजाजत नहीं दी.
समारोह में कमेटी के अध्यक्ष थोर्बजोरेन जागलांड ने कहा कि नोबेल विजेता की गैरमौजूदगी पर उन्हें अफसोस है. ओस्लो सिटी हॉल में हुए इस समारोह में मंच पर लिऊ का एक बड़ी तस्वीर रखी गई थी.
इस मौके पर कुछ चीन समर्थक लोगों का दल ओस्लो में मौजूद रहा और उन्होंने एक प्रदर्शन भी किया. हालांकि चीन के विरोध के बावजूद कई चीनी विद्रोही, कई देशों के राजदूत और नॉर्वे के राजा और रानी समेत बड़ी संख्या में लोगों ने इस समारोह में हिस्सा लिया. चीन में इस समारोह का सीधा प्रसारण रोकने के लिए सीएनएन और बीबीसी को बंद कर दिया गया.
100 साल से ज्यादा के नोबेल इतिहास में ऐसा सिर्फ दूसरी बार हुआ है जब पुरस्कार लेने के लिए विजेता या उसकी तरफ से कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा. इससे पहले 1936 में जर्मन पत्रकार कार्ल फोन ओसित्सकी को इसी तरह पुरस्कार दिया गया था क्योंकि ओसित्सकी को कैद कर दिया गया था.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार