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कला

खर्चीली शादियों पर नकेल कसने की तैयारी?

१५ फ़रवरी २०१७

लोकसभा के आगामी सत्र में शादी से जुड़ा एक विधेयक पेश किया जा सकता है, जिसमें खर्चीली शादियों पर कई तरह की बंदिशें लगाने की बात शामिल है.

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Indien Bombay Massenhochzeit von Muslimen
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन इस विधेयक को आगे बढ़ा रही हैं जिसमें शादी पर होने वाले खर्च, मेहमानों को परोसे जाने वाले व्यंजन और मेहमानों की कुल संख्या पर बात की गई है. विधेयक के मुताबिक अगर कोई परिवार शादी पर 5 लाख से अधिक खर्च करता है तो उसे कम से कम इसका 10 फीसदी हिस्सा किसी ऐसे परिवार की लड़की की शादी पर खर्च करना होगा जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.

द मैरिज (कंप्लसिरी रेजिस्ट्रेशन ऐंड प्रिवेंशन ऑफ वेस्टफुल एक्सपेनडेंचर) बिल 2016 को लोकसभा के आगामी सत्र में निजी विधेयक के रूप में रखा जा सकता है. रंजीत कहती हैं कि इस विधेयक का उद्देश्य शादियों पर होने वाले बेवजह खर्च को रोकना है और सादगीपूर्ण शादियों को प्रोत्साहित करना है.

उन्होंने कहा कि आजकल शादियों को धूमधाम से करने का चलन बढ़ रहा है और लोग बेवजह शादियों पर पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं. नतीजन गरीब परिवारों पर अधिक खर्च करने का सामाजिक दबाव बढ़ता है जिस पर रोक लगाने की जरूरत है. विधेयक के मुताबिक, अगर कोई परिवार शादी पर पांच लाख से अधिक की राशि खर्च करना चाहता है तो उस परिवार को इसकी घोषणा सरकार के सामने करनी होगी और उस राशि का 10 फीसदी हिस्सा संबंधित कल्याण कोष में देना होगा. ये कल्याण कोष सरकार की ओर से गरीब परिवारों की मदद के लिए बनाए जाएंगे.

विधेयक के मुताबिक अगर इसे लागू किया जाता है तो हर शादी का पंजीकरण 60 दिनों के भीतर होगा. इसके अलावा सरकार मेहमान, रिश्तेदार-नातेदारों की संख्या के साथ-साथ शादी और रिसेप्शन पर परोसे जाने वाले व्यंजनों की भी सीमा तय कर सकती है ताकि भोजन की बर्बादी को रोका जा सके.

एए/एके (पीटीआई)