खराब रक्षा उपकरणों से जूझती जर्मन सेना
जर्मन सेना को लगभग रोजाना हार्डवेयर की समस्या पर नकारात्मक रिपोर्टों का सामना करना पड़ता है. विमान और हेलीकॉप्टर जमीन पर खड़े हैं, टैंक और समुद्री जहाज परिचालन में नहीं है, सूची लंबी है.
उत्पादन दोष
यूरोफाइटर जर्मन सेना का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है. निर्माण में त्रुटि की वजह से 16 मीटर लंबे इस लड़ाकू विमान के उड़ान के घंटे को 3,000 से घटाकर 1500 कर दिया गया है. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि निर्माण दोष का असर यूरोफाइटर की तैनाती पर नहीं पड़ा है.
बहुत उन्नत
टॉरनैडो लड़ाकू विमान पिछले 40 सालों से उड़ान भर रहे हैं. फिलहाल जर्मनी के 89 लड़ाकू विमानों में से 38 सेवा में हैं. यही हाल 160 ट्रांसआल सी विमानों का है. 1960 में विकसित हुए 57 परिवहन विमानों में से 25 ही युद्ध के लिए तैयार हैं. उत्तराधिकारी एयरबस ए 400एम पिछले कई सालों से लटका हुआ है.
खराब हेलीकॉप्टर
जर्मन सेना का हेलीकॉप्टर बेड़ा भी मुश्किलों से घिरा हुआ है. 31 आधुनिक टाइगर लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से सिर्फ 10 ही परिचालन योग्य हैं. और 22 में से चार सी लिंक्स पनडुब्बीरोधी हेलीकॉप्टर हवा में उड़ने योग्य हैं. एनएच 90 और सीएच 53 ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टरों में खामी की दरें इसी तरह की हैं.
नहीं बनते ट्रैक्स
189 बॉक्सर ट्रांसपोर्ट टैंकों में से सिर्फ 70 ही फिलहाल प्रशिक्षण या ऑपरेशन के लिए उपलब्ध हैं. आपात स्थिति के मौके पर जर्मन सेना 406 मार्डर बख्तरबंद वाहनों की आधी संख्या को ही काम पर लगा सकती है. ट्रैक वाहन को 1971 में लॉन्च किया गया था.
समंदर में भी गड़बड़ी
दिसंबर 2001 में जर्मन सेना ने पांच के130 युद्धपोत खरीदने का फैसला किया था, जो 2007 में सेवा में लिए जाने वाले थे. खराब गियर ड्राइव, वातानुकूलन और सॉफ्टवेयर लंबी देरी के लिए जिम्मेदार रहे. युद्धपोत के लॉन्च होने के बाद भी सिर्फ दो ही तत्काल ऑपरेशनल हुए.
रक्षा मंत्री के लिए परिणाण
2013 में रक्षा मंत्रालय का जिम्मा संभालने के बाद उर्सुला फॉन डेय लाएन के सामने उपकरणों का मुद्दा सबसे बड़ा संकट है. हालांकि स्पेयर पार्ट्स पर होने वाले खर्च में कटौती के लिए उनके पूर्वगामियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.