खत्म होता "स्वर्ग"
असम के जोरहाट जिले में ब्रह्मपुत्र के बीच स्थित दुनिया का सबसे बड़ा नदी का द्वीप माजुली संकट से गुजर रहा है. माजुली संस्कृति में समृद्ध है लेकिन यह द्वीप बह जाने के खतरे से घिरा है.
संकट में स्वर्ग
माजुली नदी में बना दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है. यह असम राज्य में स्थित है लेकिन यह अनोखा द्वीप जल्द ही नक्शे से मिट सकता है. क्योंकि नदी लगातार द्वीप के किनारे काट रही है.
सांस्कृतिक हॉट स्पॉट
यह द्वीप एक लाख सत्तर हजार लोगों का घर है. साथ ही यहां कई मठ भी हैं. नए वैष्णव धर्म के लोग यहां बड़ी संख्या में रहते हैं. वैष्णव धर्म हिंदू धर्म से ही निकली एक शाखा है.
सिकुड़ती जमीन
माजुली द्वीप ब्रह्मपुत्र नदी के बीचों बीच स्थित है. कटाव के कारण धीरे धीरे द्वीप अपनी जमीन खो रहा है. एक समय में द्वीप 1,250 वर्ग किलोमीटर में फैला था लेकिन वक्त के साथ द्वीप घट कर अपने मूल आकार का एक तिहाई ही बचा है.
नई जगह बसने को मजबूर
एक जमाने में द्वीप में 65 मठ हुआ करते थे. लेकिन मिट्टी के कटाव के कारण 28 मठों को द्वीप से शहरों में जाना पड़ा.
शापित भाग्य
1950 में आए एक भूकंप के बाद माजुली की किस्मत बदल गई. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 8.9 मापी गई थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि उसके बाद से द्वीप शापित हो गया. नदी ने अपना रास्ता बदल लिया और उसके बाद से ही नदी द्वीप के चारों ओर की मिट्टी काट रही है.
सालाना बाढ़
यहां बहुत से लोग खेती, मछली पालन और हस्तशिल्प से जुड़े हैं. लेकिन हर मानसून में द्वीप पर बाढ़ आ जाती है. जिस कारण जान और माल का नुकसान होता है. लोगों को द्वीप छोड़कर भी जाना पड़ता है.
सरकार की निष्क्रियता
स्थानीय लोग सरकार से नाराज हैं जो तटबंध बनाने में विफल रही. तटबंधों के कारण द्वीप के नागरिकों को थोड़ी राहत मिल सकती है. अपना घर खो चुके पीड़ितों को दोबारा बसाने और मुआवजा देने में भी सरकार सुस्त नजर आती है.
पर्यावरण को नुकसान
पर्यावरण के विशेषज्ञों का कहना है कि कटाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन पर्यावरण की दुर्दशा भी इसके लिए जिम्मेदार है. बड़े पैमाने पर हुए कटाव की वजह से ऊपरी मिट्टी नरम पड़ गई है जिस कारण बड़ी मात्रा में जमीन का नुकसान हो रहा है.