खतरे में धरती, खतरे में जीवन
चाहे भारत के बाघ हों या चीन के पांडा, वर्षावन हों या फिर कोरल रीफ, सभी को इंसानी गतिविधियों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. पर अगर ये लुप्त हो गए, तो क्या इंसानों के जीवन पर असर नहीं होगा?
कहां जा रहे हैं बाघ
आमुर टाइगर जैसे जानवर अचानक लुप्त होते जा रहे हैं. भारत के हैदराबाद में जैव विविधता पर हुए सम्मेलन में शामिल लोगों ने इस दिशा में कदम उठाने का भरोसा दिया.
गायब होते जंगल
हमारे ग्रह पर वर्षावन बहुत अहम माने जाते हैं. इसे धरती का हरा फेफड़ा कहा जाता है. लेकिन पिछले 50 साल से इसके आधे हिस्से को साफ कर दिया गया. लकड़ी के लिए या तेल के लिए.
गायब होते ओरांगउटन
वर्षावन को नष्ट करने से ओरांगउटन को भी नुकसान पहुंचा है. लगभग 80 फीसदी ओरांगउटन वर्षावन वाले इलाके में रहते हैं और जंगल कटने से उन्हें नुकसान हुआ है.
ताड़ से नुकसान
भले ही तेल के लिए इन पेड़ों की बहुत जरूरत महसूस होती हो लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए खराब हैं. इंडोनेशिया और मलेशिया के जंगल इन पेड़ों के लिए साफ किए जा रहे हैं.
कोरल रीफ गायब
इन्हें समुद्र का वर्षावन कहा जाता है. इनमें हजारों जानवर और पौधे बसर करते हैं. लेकिन ग्लोबल वार्मिंग की वजह से 20 फीसदी कोरल रीफ गायब हो गए हैं.
सिर्फ 1600 पांडा
चीन की पहाड़ियों में अब सिर्फ 1600 विशाल पांडा बचे हैं. प्रकृति की लड़ाई लड रहे लोगों का कहना है कि उनके लिए नई जगह तैयार करने की जरूरत है.
शेर को जहर
अफ्रीका के कई लोग शेरों से नफरत करते हैं क्योंकि शेर उनकी गायों और बकरियों को खा जाते हैं. इस वजह से वे उन्हें जहर देकर मार देते हैं. उनकी संख्या लगातार घटती जा रही है.
सवाना को खतरा
जंगली बिल्लियों के घूमने की खुली जगह कम होती जा रही है. अकसर खेती और जंगली जानवरों की जमीन को लेकर विवाद होता है और नुकसान पर्यावरण को पहुंचता है.
जमीन की कीमत
विकास के लिए जमीन इस्तेमाल किया जा रहा है और इसका खामियाजा जंगलों और खुद इंसानों को उठाना पड़ रहा है.
कहां गए तालाब
सिर्फ भारत नहीं, दुनिया भर के तालाब सूख रहे हैं. इसकी वजह से मेंढक और तालाबों में रहने वाले दूसरे जानवरों का घर छिन रहा है.