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खतरा चीन-पाकिस्तान से नहीं, किसी और से है: पूर्व एनएसए

१३ अक्टूबर २०१६

भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने कहा है कि भारत को चीन या पाकिस्तान से नहीं बल्कि अंदरूनी सांप्रदायिक और सामाजिक हिंसा से खतरा है.

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Indien Feier zum Tag der Republik 26.01.2015 Bangalore
तस्वीर: picture-alliance/epa/Jagadeesh NV

शिव शंकर मेनन 2010 से 2014 तक तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत को पाकिस्तान और चीन से खतरा है तो उनका स्पष्ट जबाव था, "नहीं." उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से मुझे लगता है कि असली खतरा आंतरिक है. भारत के अस्तित्व को आज वैसा कोई बाहरी खतरा नहीं है, जो 1950 के दशक में या हमारे गठन के समय था. 1960 के दशक तक सालों तक कई अंदरूनी अलगवादी खतरे थे, जो अब नहीं हैं. मुझे लगता है कि हम उनसे निपट चुके हैं."

रिटायरमेंट के बाद मेनन की पहली किताब "चॉइसेज: इनसाइड मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरन पॉलिसी" अगले हफ्ते आने वाली है. जब उनसे पूछा गया कि अंदरूनी खतरों से उनका क्या अर्थ है तो उन्होंने कहा, "अगर भारत के सामने अंदरूनी खतरे हैं, जो उसके विचार और उसकी अखंडता के लिए खतरे हैं तो वो वास्तव में देश के भीतर ही मौजूद हैं. अगर आप भारत में हिंसा को देखें, आतंकवाद और वामपंथी चरमपंथ से होने वाली मौतें को देखें, तो पाएंगे कि 2014-15 तक इनमें कमी आई है."

Shiv Shankar Menon
मेनन भारत के विदेश सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे हैंतस्वीर: picture-alliance/ dpa

उनके मुताबिक, 2012 से जो हिंसा बढ़ी है वो सांप्रदायिक हिंसा, सामाजिक हिंसा और आंतरिक हिंसा है, जिससे निपटना होगा. वो महिलाओं के खिलाफ हिंसा और जातीय भेदभाव पर होने वाली हिंसा की तरफ भी इशारा करते हैं. मेनन कहते हैं, "ये सब एक बड़े सामाजिक और आर्थिक बदलाव के कारण हो रहा है. इसकी वजह शहरीकरण और कई अन्य बदलाव भी हैं और हमें पता ही नहीं है कि हम उनसे कैसे निपटें."

जब उनसे पूछा गया कि कई लोग इसकी वजह भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने को मान रहे हैं तो उनका कहना था कि ये भी भारतीय समाज में आ रहे बदलाव का एक परिणाम है. मेनन 2006 से 2009 तक भारत के विदेश सचिव रहने से पहले इस्राएल, श्रीलंका, चीन और पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त और राजदूत रहे हैं.

एके/वीके (पीटीआई)