खंडहर में म्यूजिक की रोशनी
जर्मनी की एक पुरानी बंद फैक्ट्री में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मदद से जान फूंकी जा रही है. एक खंडहर को शहरी जिंदगी का केंद्र बना देना कोई आसान काम नहीं है. यह खंडहर सांस्कृतिक धरोहर बन गया है.
जगमग करती फैक्ट्री
जर्मन राज्य जारलैंड की एक फैक्ट्री जब बंद हुई, तो उसे खंडहर में नहीं बदलने दिया गया. बल्कि वहां सालाना म्यूजिक फेस्टिवल आयोजित करने का फैसला किया गया और आज वह जगह कुछ ऐसी दिखती है.
हर तरफ चमक
चाहे वह फैक्ट्री की टूटी फूटी चीजें ही क्यों न हों, पार्टी के माहौल में हर कुछ चमकदार दिखने लगता है. चाहे पुरानी पाइपें हों या बेकार पड़ चुकी भट्ठी. इन पर भी मानो पार्टी का रंग चढ़ जाता है.
शाम से रंगीनी
हर साल यहां खास म्यूजिक फेस्टिवल होता है, जिसे देखने दूर दराज से लोग पहुंचते हैं. तैयारियां बहुत पहले पूरी करनी पड़ती हैं और शाम होते होते नजारा कुछ इस तरह का बनने लगता है.
भारी भीड़
पार्टी कितनी लोकप्रिय है, इसका अंदाजा यहां पहुंचने वाले लोगों की संख्या से लगाया जा सकता है. साल 2012 में जब म्यूजिक पार्टी का आयोजन हुआ, तो हजारों लोग इसे देखने पहुंचे.
विश्व धरोहर
फोल्कलिंगर की लोहा फैक्ट्री शायद उन गिनी चुनी जगहों में होगी, जिनका स्वरूप बदलने के बाद उन्हें विश्व धरोहर में शामिल किया गया हो. 1986 में फैक्ट्री बंद हुई और 1994 में यह यूनेस्को विश्व धरोहर बनी.
म्यूजिक और मस्ती
भला पार्टी हो और डीजे न पहुंचें, ऐसा हो सकता है क्या? मिची बेक (बाएं) और थोमिला यहां के खास मेहमान हैं. इनकी बजाई गई धुन पर हजारों लोग रात भर थिरक सकते हैं.
ऐसी है फैक्ट्री
दिन हो और पार्टी का वक्त न हो, तो फैक्ट्री कुछ ऐसी दिखती है. लगभग 100 साल तक यहां लोहा और स्टील बनता रहा. 1960 के दशक में यहां 17,000 लोग काम करते थे.
फैक्ट्री जिंदा है
गनीमत है कि इसका हाल दूसरी फैक्ट्रियों जैसा नहीं हुआ, जहां उत्पादन बंद होने के बाद वीरानी छा जाती है. साल 2012 के म्यूजिक फेस्टिवल को देखने पहुंचे लोगों की एक झलक.
विरासत की हिफाजत
यह अनोखी फैक्ट्री छह लाख वर्गमीटर के परिसर में फैली है.