कोच बनना चाहते हैं क्लोजे
१५ सितम्बर २०१४बर्लिन में चांसलर अंगेला मैर्केल ने क्लोजे को ये सम्मान दिया और कहा, "क्लोजे ने अपने खेल से देश के दिल में जगह बना ली."
अवॉर्ड समारोह के भाषण में मैर्केल ने कहा, "आपकी कहानी हमें हमारे देश के बारे में बहुत कुछ बताती है. आपकी टीम, जिसने वर्ल्ड कप जीता, वह हमारे देश की अहम पहचान है."
मिरोस्लाव क्लोजे ने अपने जीवन के पहले आठ साल पोलैंड में गुजारे हैं. इसके बाद वह जर्मनी में आए. उन्होंने कहा कि फुटबॉल के जरिए ही वह अपने इस नए घर में रह सके. क्लोजे ने कहा, "यह मेरे लिए बहुत अहम है. राष्ट्रीय टीम सबसे अच्छा उदाहरण है ये बताने का इंटीग्रेशन सफल है."
क्लोजे ने कहा कि उनके जीवन में फुटबॉल का अहम स्थान रहा है और राष्ट्रीय टीम भी उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. क्लोजे के शब्दों में, "राष्ट्रीय टीम मेरे लिए दूसरे परिवार की तरह रहा है. मैं हमेशा ये 13 साल अपने दिल में बसाए रखूंगा."
मिरोस्लाव क्लोजे ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास ले लिया है. हालांकि क्लब फुटबॉल वो फिलहाल खेलते रहेंगे. उन्होंने अपने फुटबॉल जीवन के बारे में बताते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि मैं चोट से दूर रह सकूंगा. क्योंकि मैं टॉप लेवल पर अगले दो साल खेल सकता हूं. उसके बाद मेरा गोल होगा क्वालिफाइड कोच बनना. फिर हम देखेंगे कि क्या होता है."
इस सप्ताह की शुरुआत में जर्मनी के राष्ट्रीय कोच योआखिम लोएव को भी उनके गृह नगर फ्राइबुर्ग में सम्मानित किया गया था. 54 साल के लोएव ने शहर गोल्डन बुक में हस्ताक्षर किए.
एएम/आईबी (डीपीए)