क्लिंटन पर टिकी सबकी नजरें
१३ अप्रैल २०१५हिलेरी क्लिंटन ना ही राजनीति में नई हैं और ना ही वे पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए खड़ी होने जा रही हैं. 2008 में भी उनसे काफी उम्मीदें लगाई गयी थीं. उस वक्त भी माना जा रहा था कि हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने जा रही हैं. लेकिन बराक ओबामा के आगे उनका रंग फीका पड़ गया. एक ही पार्टी के होने के बावजूद क्लिंटन और ओबामा की राजनीतिक सोच अलग अलग दिखी. जहां क्लिंटन इराक में युद्ध को और तेज करने पर जोर दे रही थीं, वहीं ओबामा जंग से दूर जाने की बात कर रहे थे. एक तरफ क्लिंटन का लंबा राजनीतिक तजुर्बा था तो दूसरी ओर ओबामा की नई सोच. अमेरिका की जनता ने ओबामा को मौका देना सही समझा और ओबामा ने क्लिंटन का अपनी टीम में स्वागत करते हुए उन्हें विदेश मंत्री का पद सौंपा.
चुनाव से पहले हुई बहस में भले ही दोनों के तीखे स्वर दिखे हों लेकिन सरकार बनने के बाद ओबामा और क्लिंटन को हमेशा एक दूसरे के साथ मिल कर काम करते हुए देखा गया. दोनों ही नेता एक दूसरे की तारीफें करते नहीं थकते. ओबामा राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल खत्म करने जा रहे हैं और पहले ही कह चुके हैं कि वे तीसरी बार खड़े होने की मंशा नहीं रखते. ऐसे में हिलेरी क्लिंटन को एक मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा है.
आरोपों का दौर शुरू
हिलेरी क्लिंटन की राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी मजबूत है. 90 के दशक से वे राजनीति में सक्रिय हैं. आठ साल तक देश की प्रथम महिला रहने के बाद 2001 से 2009 तक वे न्यूयॉर्क की सीनेटर रहीं. फिर विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय तजुर्बा हासिल किया. लेकिन इसी दौरान वे रिपब्लिकन पार्टी के निशाने पर भी रहीं. 2012 में लीबिया में अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले के दौरान विपक्षी पार्टी ने क्लिंटन पर समय पर सही फैसले ना लेने का आरोप लगाया. हाल ही में यह बात सामने आई कि विदेश मंत्री पद पर रहते हुए वे काम के लिए भी अपने निजी ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर रही थीं. रिपब्लिकन पार्टी का कहना है कि यह प्रोटोकॉल के खिलाफ है और क्योंकि निजी ईमेल को हैक किया जाना ज्यादा आसान है, इसलिए क्लिंटन ने सरकारी दस्तावेजों की सुरक्षा का पूरा ख्याल नहीं रखा है.
जानकारों का मानना है कि चुनावों के दौरान क्लिंटन का ईमेल एक बड़ा मुद्दा बना रहेगा. विपक्ष इसी से जुड़ कर यह साबित करने में लगा रहेगा कि क्लिंटन का रवैया कितना गैरजिम्मेदाराना है. लेकिन क्लिंटन के लिए उनके मुंह बंद कराने से ज्यादा जरूरी होगा अमेरिका के कामकाजी मध्यवर्ग को अपने साथ लेना. वे अमेरिका की आर्थिक स्थिति को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ेंगी. अपनी दावेदारी की घोषणा उन्होंने अपनी वेबसाइट पर एक वीडियो संदेश के जरिए की. इस संदेश में भी क्लिंटन को अमेरिका के "बुरे आर्थिक समय" की बात करते हुए देखा गया. साथ ही उन्होंने कहा, "हर दिन अमेरिका के लोगों को एक चैंपियन की जरूरत है और मैं वह चैंपियन बनना चाहती हूं."
आने वाले हफ्तों में क्लिंटन आयोवा और न्यू हैम्पशायर जाएंगी और चुनाव प्रचार का काम शुरू करेंगी. क्लिंटन की डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अब तक और किसी ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा नहीं की है. ऐसे में फिलहाल सबकी नजरें क्लिंटन पर ही टिकी हुई हैं.