क्रेजी जीन्स का जमाना
१३ जून २०१०कोई सुपरस्टार हो, यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट हो या फिर नन्हे बच्चे, लगता है सबका ड्रेस कोड एक ही है, जीन्स. जीन्स बनाई तो गई सोने की खान में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए. लेकिन आज बन गया है दुनिया का सबसे बड़ा फैशन. औरतों के लिए ये आज़ादी का प्रतीक बन गई. इसकी लोकप्रियता बढ़ती देख दुनिया भर के डिज़ाइनर अपने दिमाग पर ज़ोर डाल रहें है और जीन्स में नई नई स्टाइल बना रहे हैं. कौन सी जीन्स है इस साल फैशन में.
फटी, पुरानी, घिसी हुई, यह है इस साल की जीन्स का नया ट्रेन्ड. नाम दिया गया है, डिस्ट्रॉयड लुक. लेकिन फटी, पुरानी, घिसी हुई होने के कारण भी इनका दाम कम नहीं है. जीन्स की कई बड़ी दुकानों में इस फटी जीन्स का दाम 800 यूरो तक है यानी लगभग 50,000 रुपये.
"यह पूरा हाथ का काम है. और इसके लिए भी विशेषज्ञ होते हैं. वे पहले जीन्स को धोते हैं, काटते हैं, और फिर एक ब्रश के साथ उसे घिसते हैं. इसके बाद उसे तेल, गंदगी जैसी चीज़ों के साथ एक बार फिर घिसा और धोया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में कई हफ्ते लगते हैं. और आखिर में तैयार होती है वह जीन्स जिसका हमें और आपको इंतज़ार होता है."-जीन्स व्यापारी डानिएल वेरनर
डिस्ट्रॉएड लुक, टाईट लुक, बेलबॉटम लुक, कोई भी लुक हो इसे महिलाएं, पुरुष सभी शौक से पहनते हैं. फैशन स्कूल एस्मौड के संचालक क्लाउस मेट्स कहते हैं, "फैशन रोज बदलता है.लोग अपने कपड़ों के साथ दिखाना चाहते हैं कि वे व्यवस्था के खिलाफ हैं. इसलिए कई बार लोग फटी जीन्स के साथ अरमानी, या फिर डीजाइनर जैकेट पहनते हैं." फैशन लौटकर आता है. 1980 के दशक की पैचवर्क की जीन्स इस साल ट्रेन्ड नंबर वन है. यह जापान के बोरोस स्टाइल पर आधारित है. जापान में बोरोस जैकेट को कहा जाता है, जो किसान काम पर पहनते हैं. बोरो का सही मतलब चिथड़ा होता है.
"हमारी पीढ़ी की सोच अलग है. इसमें हर्ज ही क्या है अगर हम दो पुरानी जीन्स को मिलाकर एक नई जीन्स बना दें. यह देखने में भी ट्रेंडी लगता है. और फैशन को एक नया रुप भी देता है." - क्लाउस मेट्स
इस साल का ट्रेन्ड नंबर तीन है, जीन्स के जूते, हैंड बैग और इस तरह की कई दूसरी चीजें. जीन्स के ऊपर जीन्स इस साल कोई गलती नहीं बल्कि फैशन है. मेट्स के मुताबिक यह विश्व भर में क्रांति का सबसे सुन्दर उदाहरण हैं. तानाशाह ने लोगों के पहनावे पर भी हुकूमत चलाने की कोशिश की है. लेकिन जीन्स तब भी लोकप्रिय है और यही इसकी खासियत है.
रिपोर्टः जैसु भुल्लर
संपादनः ए जमाल