क्रांति के प्रतीक फूल
आजादी का फूलों से क्या ताल्लुक? इस साल मालियों की विश्व चैंपियनशिप के मौके पर हम क्रांति के प्रतीक फूलों के इतिहास पर निगाह डालते हैं.
ट्यूनीशिया की जास्मीन क्रांति
क्रांति के सिलसिले में फूलों की बात हो तो ट्यूनीशिया की जास्मीन क्रांति आंखों के सामने तैर जाती है. इसका नाम ट्यूनीशिया के राष्ट्रीय फूल के नाम पर पड़ा है जो जास्मीन है. जनवरी 2011 में प्रदर्शनकारियों ने सिने अल आबीदीन बेन अली की सरकार को गिरा दिया. प्रदर्शनकारियों से भागकर सऊदी अरब जाने से पहले देश पर 20 साल तक बेन अली का शासन रहा था.
आजादी के फूल
गुलाब हो, जास्मीन या गुलनार का फूल. बंदूक की नली में फूल से बेहतर कुछ नहीं हो सकता क्योंकि वह शांति और आजादी का प्रतीक है. शुरुआत पुर्तगाल ने की. 1974 में सेना के एक हिस्से का शांतिपूर्ण विद्रोह गुलनार क्रांति के नाम से प्रसिद्ध हुआ
गुलनार क्रांति
पुर्तगाल में करीब 50 साल तक सैनिक तानाशाही थी. कारमोना और सालाजार जैसे जनरलों की तानाशाही के दौरान 1974 तक मनमानी, उत्पीड़न और प्रेस सेंसरशिप का राज था. सेना के एक हिस्से ने यूरोप की सबसे पुरानी तानाशाही का अंत किया. करीब करीब रक्तहीन क्रांति की खुशी में लोगों ने विद्रोहियों को गुलनार के फूल भेंट किए.
अरब वसंत
ट्यूनीशिया के जनविद्रोह के साथ अरब वसंत की शुरुआत हुई. उसके बाद मिस्र, लीबिया और उत्तर अफ्रीका तथा मध्य पूर्व के कई दूसरे देशों में भी लोकतांत्रिक आंदोलन शुरू हुए. ट्यूनीशिया अब तक अरब वसंत से निकली सफल क्रांति की एकमात्र मिसाल है. बार बार होने वाले प्रदर्शनों के बावजूद उसे कुल मिलाकर स्थिर देश माना जाता है.
अशांत सीरिया
सीरिया के ठीक विपरीत. यह तस्वीर मई 2013 में ली गई थी. इसमें अलेप्पो में एक कुर्द विद्रोही को देखा जा सकता है. उसके रूसी एक-47 में भी एक फूल लगा है. लेकिन तस्वीर लिए जाने के दो साल बाद भी शांति बहुत दूर है. इस बीच कुर्द विद्रोही सिर्फ राष्ट्रपति असद के खिलाफ ही नहीं लड़ रहे बल्कि आईएस के आतंकवादियों के खिलाफ भी.
चीन में जास्मीन
अरब दुनिया में शुरू हुए विद्रोह के बीच चीन में भी 2011 में प्रदर्शनों की शुरुआत हुई. प्रदर्शनकारियों ने जानबूझकर जास्मीन के फूल ले रखे थे ताकि चीनी अधिकारियों का ध्यान ट्यूनीशिया की घटनाओं पर जाए. अधिकारियों ने फौरन प्रतिक्रिया दिखाई और इंटरनेट में लोकतंत्र के साथ साथ जास्मीन शब्द खोजने पर भी रोक लगा दी.
जॉर्जिया की गुलाबी क्रांति
कम ही लोगों को पता है कि जॉर्जिया में भी फूल वाली क्रांति आई थी. 2003 में वहां गुलाबी क्रांति हुई. उसका नतीजा राष्ट्रपति एदुआर्द शेवार्दनाद्से के इस्तीफे के रूप में सामने आया जो सोवियत संघ की अंतिम सरकार में विदेश मंत्री थे. प्रदर्शनकारियों ने देश के पहले राष्ट्रपति के शब्दों को शब्दशः लिया कि हम दुश्मन पर गोली के बदले गुलाब फेंकेंगे.
किर्गिस्तान की ट्यूलिप क्रांति
फरवरी 2005 में संसदीय चुनावों के बाद किर्गिस्तान में जन आंदोलन शुरू हो गया जिसका नतीजा राष्ट्रपति अकायेव के पतन के रूप में सामने आया. विद्रोही विपक्ष के प्रतीक का इस्तेमाल कर रहे थे जो पहाड़ी ट्यूलिप था. 2010 में किर्गिस्तान के संसदीय लोकतंत्र बनने तक देश अस्थिर रहा. प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी में अभी भी कमियां हैं.
फूल और रंग
फूलों की क्रांति के अलावा रंगों की भी क्रांतियां हुई हैं. इनमें यूक्रेन की ऑरेंज क्रांति के अलावा ट्यूलिप और गुलाब क्रांति भी है. फूलों को राजनीतिक गुटों के साथ जोड़ने की परंपरा काफी लंबी है. जर्मनी में एसपीडी के कार्यकर्ता लाल गुलाब का इस्तेमाल करते हैं जबकि 1968 के छात्र आंदोलनकारियों ने सर में फूल लगाकर वियतनाम युद्ध का विरोध किया था.
थाइलैंड के फूल
थाइलैंड में 2013 में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान सरकार के मन में विचार आया कि आम चलन के विपरीत इस बार पुलिस ही आंदोलनकारियों को फूल बांटे. सरकार समर्थक रेड शर्ट प्रदर्शनकारियों और विपक्ष के पीले शर्ट वाले समर्थकों के बीच महीनों तक चले सत्ता संघर्ष के बाद 2014 में सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया. तब से थाइलैंड में इमरजेंसी लगी है.
अशांत पूर्वी यूक्रेन
ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जैसे कि पूर्वी यूक्रेन की इस तस्वीर में जहां सैनिकों की बंदूकों में फूल लगे हैं लेकिन जहां शांति नहीं आई है. बर्लिन में मालियों की विश्व चैंपियनशिप ने अपने भागीदारों से अपील की है कि वे अपने डिजायन में आजादी शब्द को अभिव्यक्ति दें और वह भी राजनीतिक सोच के साथ.
फूलों की ताकत
इस साल की विश्व चैंपियनशिप बर्लिन में हो रही है. बर्लिन ने अपने इतिहास के साथ दिखाया है कि आजादी की ललक दीवारों को तोड़ सकती है, सीमाओं को मिटा सकती है. आयोजकों को उम्मीद है कि यह ताकत भागीदारों को प्रेरणा देगी.