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क्यों सो जाते हैं हाथ, पैर

ओंकार सिंह जनौटी
९ दिसम्बर २०१६

कुछ देर आराम से बैठने के बाद जब उठे तो पता चला कि पैर सो गया है. ऐसा हाथों के साथ ही होता है, लेकिन क्या ये खतरनाक है?

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/Monkey Business Images

किसी एक पोजिशन पर बैठे रहने के बाद जब उठे तो पैर झनझनाने लगता है. ऐसा लगता है जैसे पैर है ही नहीं. लेकिन कुछ देर हिलने डुलने या चलने के बाद ही सब ठीक हो जाता है. बिल्कुल ऐसा ही बाहों के साथ भी होता है. कुर्सी के हत्थे पर बड़ी देर तक हाथ टिकाने के बाद या बिस्तर में बांह के बल सोने या बांह का सिरहाना बनाने से हाथ सो जाता है.

विज्ञान के मुताबिक हाथ पैर सोना आम बात है असल में एक ही पोजिशन में काफी देर तक रहने से कुछ नसें दब जाती हैं, जिनके चलते हाथ पैरों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. ऑक्सीजन के अभाव में अंग बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं और बहुत ही जरूरी काम ही करते हैं. इसका पता मस्तिष्क को भी चलता है और वह ऑक्सीजन के लिए छटपटाते हाथ पैरों की मदद करने करता है. दिमाग झनझनाहट के सिग्नल भेजकर हमें चहलकदमी करने या हिलने डुलने के लिए बाध्य करता है. आम तौर पर हाथ या पैरों का सो जाना आम बात है.

लेकिन अगर हाथ या पैर दिन में कई बार सोने लगें या फिर झनझनाहट खत्म होने में बहुत ही ज्यादा देर लगे तो डॉक्टर के पास जाएं. स्लिप डिस्क, मल्टीपल स्क्लेरोसिस या डायबिटीज के चलते भी ऐसा होता है.

(अपने शरीर को समझेंगे तो हैरान हो जाएंगे)