क्यों बना 1 जुलाई डॉक्टरों का दिन
जुलाई की पहली तारीख को भारत में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं 1 जुलाई की तारीख ही क्यों और क्या हैं इसके मायने? देखिए.
पहली जुलाई क्यों?
1 जुलाई वो तारीख है जिस दिन प्रसिद्ध भारतीय चिकित्सक डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय की जन्म और पुण्यतिथी होती है. भारत सरकार ने 1991 में डॉक्टर्स डे इन्हीं के सम्मान में शुरू किया.
डॉक्टर रॉय का योगदान
डॉक्टर बीसी रॉय एक नामी चिकित्सक तो थे ही, वे पश्चिम बंगाल राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने और अपने राज्य को एक दूरदर्शी नेतृत्व देने के कारण पश्चिम बंगाल के निर्माता कहे गए. डॉक्टर रॉय 1961 में देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' पुरस्कार से नवाजे गए.
स्वतंत्रता सेनानी भी
कांग्रेसी नेता रॉय ने भारत की आजादी के आंदोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. 1030 में महात्मा गांधी के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने वाले रॉय की 80 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई.
डॉक्टरों को आभार
आजकल डॉक्टर्स डे मनाने का मकसद हमारे जीवन में चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका को याद करना है. उनकी बिरादरी के एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व को सम्मान जताकर पूरे डॉक्टर समुदाय के प्रति आभार जताने का एक दिन.
दुनिया भर में
भारत के अलावा दूसरे देशों में यह दिन अलग अलग तारीखों को मनाते हैं. जैसे अमेरिका में 30 मार्च को, और ऐसे ही अन्य देशों में कभी और. लेकिन डॉक्टरों की सेवा और त्याग को याद करने के लिए साल का एक दिन जरूर मुकर्रर किया गया है.
मरीजों का बोझ
भारत में एम्स जैसे कुछ प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान हैं, लेकिन अस्पतालों और डॉक्टरों पर मरीजों का बहुत बोझ है.
डॉक्टरों की कमी
भारत के सेंट्रल ब्यूरो फॉर हेल्थ इंटेलिजेंस की 2015 रिपोर्ट के मुताबिक सवा अरब आबादी वाले भारत में प्रति 1,000 व्यक्ति केवल 7 डॉक्टर हैं. भारत अपने कुल जीडीपी का केवल 1 प्रतिशत ही स्वास्थ्य सेक्टर पर खर्च करता है.