क्या है ग्लोबल वॉर्मिंग
दुनिया परेशान है. धरती गर्म हो रही है और उसका असर जलवायु पर हो रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर धरती को गर्म होने से रोका नहीं गया तो इंसान का जीना मुश्किल हो जाएगा.
ग्रीनहाउस प्रभाव एक प्राकृतिक क्रिया है जो धरती को इतना गर्म कर रही है कि इंसान का आराम से रहना मुश्किल होता जा रहा है. नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाय ऑक्साइड और दूसरी गैसों की अदृश्य चादर धरती को घेर रखा है और वह सूरज की गर्मी को सोख कर रखता है.
मानव गतिविधियों की वजह से लगातार कार्बन डाय ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है. पेडों का कटना हो, कोयला जलाना या तेल और पेट्रोल से गाड़ी चलाना, यह सब कार्बन डाय ऑक्साइड के उत्सर्जन में योगदान देता है. अतिरिक्त कार्बन वायुमंडल में अतिरिक्त चादर तैयार करती है.
इंसान इस समय पहले से कहीं ज्यादा ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2014 में 53 अरब टन के बराबर ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन हुआ. सन 1970 से 2000 के बीच के 1.3 प्रतिशत के मुकाबले 2000 के बाद के वर्षों में सालाना वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत रही है.
हर साल निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा हिस्सा यानि 35 प्रतिशत बिजली के उत्पादन की प्रक्रिया में पैदा होता है. 24 प्रतिशत के साथ कृषि और जंगलों का कटना दूसरे नंबर पर है. भारी उद्योग 21 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों के लिए जिम्मेदार है तो परिवहन 14 प्रतिशत के लिए.
जलवायु सम्मेलनों के जरिये धरती के गर्म होने को औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस पर रोकने की कोशिश हो रही है. इसके लिए वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के संकेंद्रण को 450 पार्टिकल पर मिलियन के स्तर पर रोकना होगा. सन 2011 में औसत संकेंद्रण 430 पीपीएम था.
धरती का तापमान 1880 से 2015 के बीच 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. लेकिन यह हर कहीं बराबर नहीं है. समुद्र की तुलना में जमीन पर तापमान में ज्यादा वृद्धि देखी गई है. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर भी तापमान में अधिक वृद्धि हुई है. साल 2015 के अब तक के सबसे ज्यादा गर्म होने का अनुमान है.
संयुक्त राष्ट्र की विज्ञान संस्था का कहना है कि यदि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी नहीं की गई तो 2100 तक वैश्विक तापमान 3.7 से 4.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा में रहने के लिए 2030 तक पर्यावरण तकनीक में सैकड़ों अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी.