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क्या है अज्ञात जड़ी बूटियों का राज

३ जून २०१०

कई दशकों से वैज्ञानिक ऐसे पौधों की खोज में लगे हैं जो बीमारियों की काट कर सके. हो सकता है कि गठिया, कैंसर या फिर मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने के लिए एक ही पौधा कारगर साबित हो जाए.

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तस्वीर: Holger Casselmann

हाल ही में जर्मनी के डॉर्टमुंड शहर की टेक्निकल यूनिवर्सिटी के एक रसायनशास्त्री मिशाएल श्पीटेलर ने अफ्रीकी देश कैमरून के जंगलों में एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसका मकसद अज्ञात जड़ी बूटियों का पता लगाना है. इस काम में वह अफ्रीकी रसायनशास्त्री वोल्फगांग मेयन की मदद भी ले रहे हैं.

Senegal Frau mit Werkzeug Beschneidung Genitalverstümmelung
तस्वीर: AP

मिशाएल श्पीटेलर अपने इस प्रोजेक्ट के बारे में बताते हैं, " हमारे इस प्रोजेक्ट का मकसद सिर्फ नए पौधों की खोज करना ही नहीं, बल्कि कई ऐसे पौधे तलाशना भी है जो मिलकर किसी बीमारी की काट कर सकें. आप चाहें तो नए पौधों की खोज और उनका विश्लेषण कर सकते हैं. लेकिन हम यह चाहते हैं कि नई खोज और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति, दोनों की मदद से बीमारियों का इलाज निकाल सकें."

रसायनशास्त्री मिशाएल श्पीटेलर की दिलचस्पी खासकर नागदौन जैसी जड़ी बूटी के फायदों को जानने में है जो एक प्रकार का कड़वा पौधा है. कैमरून के देहाती लोगों से उन्हें पता चला कि नागदौन की एक प्रजाति की चाय मलेरिया से लड़ने में मदद करती है.

इस जड़ी बूटी में और क्या क्या खासियतें हैं, मीशायेल श्पीटेलर समझाते हुए कहते हैं, " पौधों को अपने जीवन के लिए बहुत कम तत्व खुद उत्पन्न करने पड़ते हैं. ऐसे में ज्यादातर तत्व उन्हें प्रकृति से मिल जाते हैं. इनकी मदद से वे अपने आप को कीट पतंगों से बचाते हैं. उसी तरह जड़ी बूटियों में भी कुछ रोगनाशक तत्व होते हैं, जो हमारी बीमारियों से लड़ते हैं, और उन्हें ख़त्म करते हैं."

लेकिन एक बीमारी के लिए इलाज के लिए केवल रासायनिक प्रभाव ही काफी नहीं हैं. रसायनशास्त्री वोल्फगांग मेयन बताते हैं कि एक चिकित्सक को यह अच्छी तरह पता होना चाहिए कि उसकी जिम्मेदारी क्या हैं. तभी वह इन जड़ी बूटियों के असली फायदे उठा सकता है.

"अफ्रीका में अकसर बीमार लोगों को घर की चार दीवारी में ही रखा जाता है. और उन्हें इलाज के दौरान रिश्तेदारों या फिर पड़ोसियों से मिलने नहीं दिया जाता. और यहीं हम गलती कर बैठते हैं. इलाज के दौरान अगर बीमार व्यक्ति को बाहर जाने दिया जाए और दूसरे लोगों से मिलने दिया जाए तो वह जल्दी अच्छा हो सकता है."

रसायशशास्त्री मिशाएल श्पीटेलर अफ्रीका से अब जर्मनी लौट चुके हैं. कैमरून जंगलों से वह जड़ी बूटियों का एक पिटारा लेकर आए हैं. वह कहते हैं कि असल काम अब शुरू होगा क्योंकि जर्मनी में रिसर्च की बेहतर सुविधाएं मौजूद हैं. श्पीटेलर के मुताबिक प्रकृति की इस भेंट से उनका रिश्ता बहुत गहरा है. इसलिए अब वह इन जड़ी बूटियों का सही विश्लेषण और उनके फायदे के बारे में पता लगाने के काम में जुट गए हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/जैसू भुल्लर

संपादन: एस गौड़