कितना मुश्किल है एयर होस्टेस का काम?
खूबसूरत, छरहरी और मृदुभाषी - ऐसी ही ग्लैमरस तस्वीर उभरती है ना एयरहोस्टेस के नाम पर. लेकिन एयर होस्टेस का काम उतना आसान नहीं होता है.
कुछ साल पहले एयर इंडिया ने अपने कुल 3,500 केबिन क्रू कर्मियों में से करीब 600 को छह महीने के अंदर वजन कम करने का निर्देश दिया था. उनमें से करीब 130 को निर्धारित बीएमआई से ऊपर पाने पर क्रू से हटाने का निर्णय लिया गया था.
केबिन क्रू के फिट न होने से किसी एमरजेंसी की स्थिति में उन्हे फ्लाइट में अपनी ड्यूटी ठीक ढंग से निभाने में परेशानी हो सकती है. इससे यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती है.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय केबिन क्रू के लिए बॉडी मास इंडेक्स और स्वास्थ्य संबंधी मानक तय करता है. अगर फ्लाइट अटेंडेंट का बीएमआई यानि शरीर के भार और कद के बीच का अनुपात निर्धारित पैमाने से बाहर निकले तो उन्हें उड़ान भरने की मनाही हो सकती है.
ऐसा पहली बार नहीं है कि एयर इंडिया ने अपने केबिन क्रू के किसी सदस्य को मोटापे के कारण हवाई जहाज पर ड्यूटी से हटाया हो. 2009 में भी ऐसे 10 फ्लाइट अटेडेंट्स को ज्यादा वजन के कारण ही केबिन ड्यूटी से हटाया गया था.
चीन की इस एयरलाइन में अटेंडेंट सीट बेल्ट बांधने और दूसरी कई सुरक्षा संबंधी जानकारी देती हुई. बजट कही जाने वाले सस्ते हवाई टिकटों वाले एयरलाइंस में भी भले ही मुफ्त खाना ना मिले लेकिन केबिन क्रू तो होता ही है.
लंबी दूरी की यात्राओं में केबिन क्रू को भी काफी लंबी शिफ्टें करनी पड़ती हैं. अटेंडेंट्स को नींद की कमी और कई कई दिनों तक घर से दूर रहना पड़ता है. कई बार हवाई जहाज में ही क्रू को किसी यात्री की तबीयत खराब होने जैसी मेडिकल एमरजेंसी का सामना करना पड़ता है.
यात्रियों को उड़ान संबंधी सुरक्षा जानकारी देना और पूरी यात्रा के दौरान उनकी सुविधा का ख्याल रखना इनकी मुख्य जिम्मेदारियां हैं. इसके अलावा फ्लाइट अटेंडेंट्स को हर समय आपातकाल में तेज प्रतिक्रिया के लिए भी तैयार रहना पड़ता है.
यात्रियों के लिए हमेशा तरोताजा और मुस्कुराने वाले फ्लाइट अटेंडेंट्स को इन सब मुश्किलों के बावजूद अपनी सुंदरता, सेहत और फिटनेस का अच्छी तरह ध्यान रखना होता है.