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क्या पेड़ और मकान भूकंप रोक पायेंगे?

७ अक्टूबर २०१७

जब फ्रांसीसी वैज्ञानिकों को प्रयोगशाला में पता चला कि धातु के सीधे खड़े डंडे प्लेट के कंपन को कम करते हैं तो उनके दिमाग में ये सवाल आया कि क्या सीधे खड़े पेड़ धरती के कंपन पर काबू कर सकते हैं?

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Indien Gujarat  - Zerstörte Gebäude nach Erdbeben
तस्वीर: Arko Datta/AFP/Getty Images

इंस्टीच्यूट ऑफ साइंसेस के भूविज्ञान लैब के भौतिकविज्ञानी जब एक प्रयोग कर रहे थे तो उन्हें एक अद्भुत चीज का पता चला. वे भूकंप जैसे कंपन का एक ऐसी प्लेट पर असर जांच रहे थे जिस पर धातु के रॉड जुड़े थे. भूकंप को सिमुलेट करने के दौरान उन्होंने धातु की प्लेट में कंपन पैदा किया. जिसके साथ धातु के सीधे रॉड जुड़े थे. वैज्ञानिक माथेयु रूपां और फिलिप रू ने पाया कि जहां धातु के सीधे रॉड जुड़े थे वहां कंपन बहुत कम हो गया था.

यह आश्चर्यजनक जानकारी थी. उन्होंने इस परीक्षण को बड़े स्तर पर दोहराने का फैसला किया. इस बार धातु के बदले पेड़ों के साथ. यह देखने के लिए कि क्या वे भूकंप की स्थिति में धरती के कंपन को ब्लॉक कर सकते हैं या करते हैं. इसके लिए सबसे पहले उनकी टीम ने मिट्टी की बनावट और उसके भौतिक गुण जानने के लिए एक गड्डा खोदा. वे यह भी जानना चाहते थे कि क्या मिट्टी भी भूकंप की आगे बढ़ती तरंगों को सोखती है. फिलिप रू कहते हैं, "यही चुनौती है, ये पता करना कि क्या दोनों मामलों में मैटीरियल से अलग भौतिक प्रक्रियायें एक जैसी हैं."

सवाल यह है कि क्या कंपन के आगे बढ़ने के मामले में मामूली अंतरों के बावजूद भौतिकी एक जैसी रहती है. वैज्ञानिकों ने पहले रडार की मदद से धरती का सर्वे किया ताकि वे बाद में इलाके की अनियमितताओं पर ध्यान दे सकें. रडार की किरणें धरती में दो मीटर की गहराई तक जाती हैं. टीम ने जमीन के अंदर करीब 1000 सेंसर डाले, आधे जंगल में और आधे पास के खेतों में. उन्होंने पेड़ों में भी सेंसर लगाये.

तीन दिन बाद सभी सेंसर अपनी जगह पर थे और उनका टेस्ट हुआ. भूकंप का कंपन एक पोर्टेबल और प्रोग्राम किये जा सकने लायक बाइब्रेशन जेनरेटर से सिमुलेट किया गया. इसमें 70 किलो का एक सिलेंडर है जो ऑन डिमांड कंपन पैदा करता है. टीम ने इस हेवीवेट को आर2डी2 का नाम दिया है. यह सच है कि एक जेनरेटर असली भूकंप की नकल नहीं कर सकता, लेकिन परीक्षण के लिए यह काफी था. आर2डी2 ने अपना काम शुरू किया और सेंसरों ने डाटा कलेक्ट करना शुरू किया. कंपन के कमजोर होने का पैटर्न खुले खेतों में सामान्य था, लेकिन जंगलों में वह बहुत ही कम था.

तो क्या यह पेड़ों का असर था? रिसर्चर फिलिप रू बताते हैं, "अभी तक सारे डाटा का अनेलिसिस नहीं हुआ है. लेकिन हम वही असर देख रहे हैं जिसकी हमने उम्मीद की थी. हमारा आरंभिक अध्ययन दिखाता है कि जंगल रेजोनेटरों की तरह की तरह प्रतिक्रिया करता है और तरंगों को कमजोर करता है. वह उन्हें पूरी तरह खत्म भी कर दे सकता है."

यह शोध असली भूकंप से निबटने के रास्ते खोजने में इंसान की मदद कर सकता है. कभी इसकी मदद से जानें बचायी जा सकेंगी.

भूकंप विशेषज्ञ फिलिप गुगेन कहते हैं, "आप शहरी इलाकों के साथ समानता देख सकते हैं, जहां वाइब्रेट करने वाली इमारतें होती हैं, कुछ पेड़ों की तरह. वे तरंगों को कम करती है. आगे और बहुत सारे एक्सपेरिमेंट करने का विचार है ताकि यह पता चल सके कि क्या जंगल के उदाहरण को उस स्तर पर शहरों में लागू किया जा सकता है. और क्या ऐसे शहरी ढांचे और लेआउट बनाये जा सकते हैं जो भूकंप में शहरों की रक्षा करें." प्रयोग के नतीजे उत्साहित करने वाले हैं, लेकिन मिमिजान के जंगल से सुरक्षित शहरों तक अभी लंबा रास्ता तय होना है.

इंगो क्नोप्फ