कोलोन कैथीड्रल पर टिकी दुनिया
कोलोन कैथीड्रल के बारे में खास बात यह कि यहां पिछले 800 साल से निर्माण काम चल रहा है और आज भी जारी है. इस दौरान बीच में 300 साल यह काम रुका भी. पिछले दिनों उतारी गई एक मचान.
उत्तरी टावर
800 सालों से कोलोन कैथीड्रल में निर्माण जारी है. 22 जुलाई को करीब 100 ऊंचाई पर लगाई गई मचान हटाई गई. यह मचान 10 साल पहले तब लगाई गई थी जब एक तीन मीटर बड़ा पत्थर टावर से गिर गया था, इसकी मरम्मत में लोहे की जगह अब स्टेनलेस स्टील लगाया गया है.
छह महीने नहीं छह घंटे
अगर मचान को ऊपर से ही एक एक पुर्जा खोलकर उतारा जाता तो शायद आधा साल लग जाता. लेकिन 750 टन वाली क्रेन की मदद से यही काम कुछ घंटों में हो गया. राहगीरों की नजरें भी इस पर टिकी हुई थीं.
भगवान की मदद
मचान को सुरक्षित उतारने के बारे में कैथीड्रल के मुख्य निर्माणकर्ता मिषाएल हाउक कहते हैं 'हम पर ईश्वर की कृपा है.' अगर हवा तेज चल रही होती तो यही काम मजदूरों के लिए भी खतरनाक हो सकता था.
साथी हाथ बढ़ाना
मिषाएल हाउक ने पिछले साल मुख्य निर्माणकर्ता के रूप में यह काम अपने हाथों में लिया. उनके साथ काम करने वालों में 60 से ज्यादा मिस्त्री, मजदूर और कारीगर शामिल हैं. हाउक इस बात का पूरा खयाल रखते हैं कि किस समय कैथीड्रल के किस हिस्से को कैसा सहारा चाहिए ताकि उसकी मजबूती बनी रहे.
काम जारी है
कैथीड्रल के कुछ हिस्सों में आपको हमेशा मचान लगी हुई दिखेगी. कोलोन के रहने वालों में भी बहुत कम ही ऐसे हैं जिन्होंने कैथीड्रल को बिना किसी मचान या बगैर मरम्मत का काम चलते हुए देखा हो.
वे 300 साल
कोलोन का कैथीड्रल एक तरह से पुराना भी है और ताजा भी. इसका निर्माण 13वीं सदी में शुरू हुआ था लेकिन 1510 में यह काम बीच में रोक दिया गया. 1853 की इस तस्वीर से पता चलता है कि करीब 350 साल तक इसमें कोई टावर नहीं था. फिर 1880 में इनके ट्विन टावर का निर्माण हुआ.
युद्ध के दाग
द्वितीय विश्व युद्ध में कोलोन तकरीबन पूरी तरह तबाह हो गया था. कैथीड्रल पर भी करीब 70 बम गिराए गए, लेकिन वह नष्ट नहीं हुआ. इसकी मरम्मत में दसियों साल लग गए. उन घावों के दाग अब भी बरकरार हैं. उनमें से कुछ दागदार कांच सफेद ग्लास से बदल दिए गए.
विवादास्पद कांच
2007 में जर्मन कलाकार गेरहार्ड रिष्टर ने कैथीड्रल के लिए एक दागदार कांच तैयार किया. उन्होंने विश्व युद्ध में बर्बाद हो चुके 113 वर्ग मीटर वाले कांच को बदलने के लिए कुछ वैसी ही झलक लिए कांच बनाया.
दूसरे प्रतिद्वंदी
चार साल तक लगातार 157 मीटर ऊंचा कोलोन कैथीड्रल दुनिया का सबसे ऊंचा चर्च था. 1984 में उल्म ने अपने कैथीड्रल में गॉथिक टावर बनाकर बाजी मार ली. 161.5 मीटर ऊंचाई वाला यह दुनिया का सबसे ऊंचा चर्च है. माना जाता है कि गॉथिक टावर के निर्माण को तब तक रोक कर रखा गया जब तक कोलोन कैथीड्रल के टावर नहीं बन गए, ताकि उसे कोलोन से ऊंचा बनाया जा सके.
काम रुकना नहीं चाहिए
कोलोन के लोगों की धारणा है कि इस कैथीड्रल में जब मरम्मत का काम रोक दिया जाएगा, वही संसार का आखरी दिन होगा. इसीलिए 170 सालों से ज्यादा से इसकी मरम्मत के लिए आधे से ज्यादा पैसा यहां रहने वालों की जेब से आता है.
कबूतरों से खतरा
कैथीड्रल की सुंदरता को कबूतरों और दूसरे पक्षियों की बीट से खतरा रहता है. इससे निबटने के लिए कैथीड्रल का खुद का पाला हुआ बाज भी है जिससे डर कर ये पक्षी दूर रहते हैं.