कोरिया युद्ध के 6 दशक
तीन साल कोरिया में युद्ध होता रहा. संयुक्त राष्ट्र की मदद के अलावा दक्षिण कोरिया के सैनिकों के साथ चीनी और रूसी भी थे. युद्ध खत्म होने तक वहां कई हजार लोगों की जान जा चुकी थी और देश का दो हिस्सों में बंटना तय हो गया था.
शीत युद्ध की सीमा
27 जुलाई 1950: कम्यूनिस्ट उत्तर कोरिया के सैनिकों ने 38 देशांश पार करते हुए दक्षिण में कब्जा जमाना शुरू किया. कुछ ही दिनों में उन्होंने पूरे देश को अपने कब्जे में ले लिया. यह एक जंग की शुरुआत थी जो 37 महीने चली. अलग अलग आंकड़ों के मुताबिक करीब 45 लाख लोग इसमें मारे गए.
युद्ध का कारण
1910 से 1945 के दौरान दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान के कोरिया पर कब्जे के बाद से यह बंटा हुआ है. 38 डिग्री देशांश के ऊपर का हिस्सा सोवियत संघ के नियंत्रण में था और दक्षिणी हिस्सा अमेरिका के. अगस्त 1948 में सियोल में कोरिया गणतंत्र की घोषणा की गई. इसकी प्रतिक्रिया में उत्तर में जनरल किम इल सुंग ने 9 सितंबर को डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोरिया बनाया.
संयुक्त राष्ट्र का समर्थन
38 डिग्री देशांश से ऊपर उत्तरी कोरिया के आक्रमण के बाद अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के दबाव के कारण जुलाई 1950 में दक्षिण कोरिया को मदद दी. 20 देशों के 40 हजार सैनिक कोरिया भेजे गए. जिनमें से 36 हजार अमेरिकी सैनिक थे. रुख पलटता दिखा जब गठबंधन सेना ने जल्द ही पूरे प्रायद्वीप पर करीब करीब कब्जा कर लिया.
ऑपरेशन क्रोमाइट
15 सितंबर 1950 के दिन अमेरिकी जनरल डगलस मैक आर्थर्स के नेतृत्व में गठबंधन सेना बंदरगाह शहर इंचेओन के नजदीक पहुंची. और उत्तरी हिस्से को असलहा और सामान पहुंचाने वाले ठिकाने पर कब्जा कर लिया. इसके कुछ समय बाद सियोल को गठबंधन सेना ने अपने नियंत्रण में ले लिया और अक्टूबर मध्य तक प्योंगयांग. युद्ध खत्म होता दिखने लगा लेकिन तभी चीन ने अपनी सेना उत्तर कोरिया की मदद के लिए भेज दी.
माओ के सैनिक
अक्टूबर के बीच चीनी घुसपैठ शुरू हुई. शुरुआत में छोटी टुकड़ियां थीं जो मदद के लिए आईं. अक्टूबर के अंत तक तो माओ की सेना बड़ी संख्या में उत्तर कोरिया पहुंची. पांच दिसंबर तक प्योंगयांग भी चीनी मदद वाले उत्तर कोरिया के पास चला गया.
चीनी उत्तर कोरिया के हमले
1951 की जनवरी में चीनी उत्तर कोरिया ने बड़े हमले शुरू किए. चार लाख चीनी और एक लाख उत्तर कोरियाई सैनिकों ने गठबंधन सेना को पीछे धकेल दिया. उसी साल अप्रैल में जनरल मैकआर्थर को हटा कर जनरल मैथ्यू बी रिजवे को गठबंधन सेना का प्रमुख बनाया गया.
थकाने वाली जंग
उत्तरी और दक्षिणी कोरिया के बीच युद्ध से पहले तय की गई सीमा पर उत्तर और दक्षिण की पार्टियां 1951 के मध्य तक अड़ गई. इसके बाद गठबंधन सेना और विपक्षी सेना अड़ी रही जो 1953 की गर्मियों तक चली. जबकि शांति समझौता जुलाई 1951 में ही हो गया था.
दो तंत्रों के बीच
कोरिया का युद्ध पूर्व और पश्चिम के प्रतिनिधित्व की लड़ाई थी. संयुक्त राष्ट्र के समर्थन वाली सेना में अधिकतर अमेरिकी थे. वहीं उत्तर कोरिया के समर्थन में चीनी और रूसी.
उत्तर कोरिया खाक
कोरिया का युद्ध शुरू से ही हवाई और बमों वाला था. तीन साल चले युद्ध में यूएन अमेरिकी युद्धक विमान करीब 10 लाख बार उड़े. कुल मिला कर अमेरिकी सैनिकों ने साढ़े चार लाख टन बम और नेपाम (विस्फोटक पेट्रोलियम जेली) उत्तर कोरिया पर फेंके. जान माल की इसमें बड़ी हानि हुई. देश के अधिकतर ब़ड़े शहर खाक हो गए. .
हर तरफ मौत
1953 में जब गठबंधन सेना कोरिया से पीछे हटी तो कई हजार लोग मारे चुके थे. मृतक सैनिकों की संख्या के आंकड़े अलग अलग बताए जा रहे थे. माना जाता है कि युद्ध के दौरान करीब पांच लाख सैनिक मारे गए. चार लाख चीनी. गठबंधन सेना का दावा कि उनके 40 हजार सैनिक मारे गए जिनमें से 90 फीसदी अमेरिकी थे.
युद्धबंदी
1953 के अप्रैल से मई की शुरुआत के बीच दोनों कोरिया के बीच सैनिकों की अदला बदली हुई. साल के आखिर तक कई और युद्ध बंदी रिहा किए गए. संयुक्त राष्ट्र की ओर से 75 हजार उत्तर कोरियाई और 6,700 चीनी. दूसरी ओर से 15,500 बंदियों को रिहा किया गया जिनमें 8,300 उत्तर कोरियाई और 3,700 अमेरिकी सैनिक थे.
समझौता
10 जुलाई 1951 को युद्ध विराम होने के दो साल बाद पनमुंजोम समझौता हुआ. प्रायद्वीप का बंटवारा 30 डिग्री देशांश पर सीमेंट से बना दिया गया. दोनों देशों में शांति समझौता अभी तक नहीं हुआ है. तो वैसे देखा जाए तो दोनों देश अभी भी युद्ध ही कर रहे हैं.
नो मैन्स लैंड
सीमावर्ती इलाके पनमुंजोम का नजारा बहुत ही अजीब है. आज भी 38 डिग्री देशांश की सीमा सबसे कड़ी चौकसी वाला इलाका है. 1953 के युद्ध विराम के बाद उत्तर और दक्षिण के बीच करीब ढाई सौ किलोमीटर लंबी और चार किलोमीटर चौड़ा असैनिक क्षेत्र है. हर वक्त इसके दोनों तरफ सैनिक तैनात रहते हैं.