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सिरदर्द का इलाज कॉफी?

१६ अक्टूबर २०१३

कॉफी जितना विवादास्पद पेय कोई और नहीं. जहां एक ओर विशेषज्ञ इसे नुकसानदेह बताते हैं वहीं दूसरे इसकी तारीफ करते नहीं थकते. वह दलील देते हैं कि कॉफी अल्जाइमर और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाती है.

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तस्वीर: Fotolia/JackF

चाहे एस्प्रेसो हो, कैपुचिनो या फिर लाटे माकियाटो, सुबह सुबह की पहली कॉफी का आनंद उसे पसंद करने वाले ही जान सकते हैं. कुछ लोग तो कॉफी के इतने दीवाने होते हैं कि एक कप पिए बगैर बिस्तर से ही बाहर नहीं निकलते. कोलोन यूनिवर्सिटी में फार्मेसिस्ट और टॉक्सिकोलॉजिस्ट कुनो गुटलर बताते हैं, "कैफीन के कारण तंत्रिका तंत्र में हलचल होती है और दिल की धड़कन बढ़ती है. इससे दिमाग में खून की मात्रा बढ़ती है और इस तरह ज्यादा ऑक्सीजन भी मिलती है. लोग फिट और स्वस्थ महसूस करने लगते हैं, वह फिर अच्छे से सोच सकते हैं."

माइग्रेन का चक्कर

कॉफी के दीवानों के लिए गुटलर के पास एक और अच्छी खबर है कि कॉफी से माइग्रेन जैसा सिरदर्द भी खत्म हो सकता है. इस दर्द का कारण मस्तिष्क में अच्छे से खून नहीं पहुंच सकना है. माइग्रेन की स्थिति में शिराएं चौड़ी हो जाती हैं, ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और दिमाग को खून नहीं मिलता. गुटलर समझाते हैं, "कैफीन के कारण दिमाग की शिराएं संकरी हो जाती हैं और खून तेजी से दौड़ता है." लेकिन वह यह भी कहते हैं कि सिर्फ हल्के सिरदर्द के लिए ही कैफीन वाला एक कप काम करता है. लेकिन एक बड़ा नुकसान भी है कि अगर कॉफी की आदत लग जाए तो एक कप नहीं पीने पर सिरदर्द हो भी सकता है. अगर रोज मिलने वाला कैफीन अचानक एक दिन गायब हो जाए तो शिराएं फिर फैल जाती हैं और सिरदर्द शुरू.

क्यों बचें कॉफी से

सामान्य तौर पर कॉफी का पेड़ कैफीन बनाता है ताकि वह अपनी फलियों को कीड़ों से बचा सके. यानी कैफीन कीड़ों के लिए जहर का काम करता है, लेकिन कॉफी के दीवाने तो इससे अच्छा महसूस करते हैं. इसलिए कई रिसर्चर और डॉक्टर साफ विचार रखते हैं कि कॉफी स्वास्थ्य के लिए बिलकुल अच्छी नहीं है. चूंकि कैफीन के कारण एड्रीनल ग्लैंड एड्रीनलीन बनाने लगते हैं तो रोज कॉफी पीने वालों का शरीर हमेशा तनाव में ही रहता है. जैसे खतरे की स्थिति में होता है, शरीर की मांसपेशियां हमेशा तनाव में रहती हैं और खून में ग्लूकोज बढ़ जाता है ताकि ऊर्जा पैदा होती रहे. धड़कन और सांसे तेज होने लगती है. अगर लगातार तनाव वाले हारमोन ज्यादा पैदा होते रहें तो कभी न कभी यह दिल को थका सकता है.

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कॉफी का पेड़ कैफीन बनाता है ताकि वह अपनी फलियों को कीड़ों से बचा सके.तस्वीर: Fotolia

कॉफी से तनाव

यानी कॉफी कुल मिला कर तनाव ही पैदा करती है, आराम की फीलिंग नहीं. गुटलर कहते हैं कि कॉफी आनुवांशिक परेशानियों वाले लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है," कैफीन को पचाने के लिए सीवायपी1ए2 एन्जाइम की जरूरत होती है. ऐसे कुछ लोग होते हैं जिनमें यह एन्जाइम कम सक्रिय होता है. ऐसे लोग अगर कॉफी पिएंगे तो उनके शरीर में कैफीन को पचने में भी वक्त लगेगा, यानी कैफीन का असर शरीर पर ज्यादा देर रहेगा, नतीजा दिल को परेशानी. दूसरी तरफ ऐसे भी लोग होते हैं जिनके शरीर में यह एन्जाइम काफी सक्रिय होता है और कैफीन बहुत तेजी से पच जाता है. कुल मिला कर कितनी कॉफी कोई पी रहा है, इस पर सब निर्भर करता है. अगर यह दिन में 0.6 लीटर तक ही हो तो इसका बुरा असर नहीं पड़ता.

डायबीटिज और अल्जाइमर

शरीर पर असर देखने के लिए किसी पेय की इतनी जांच शायद ही हुई हो, जितनी कॉफी की हुई है. इस दौरान ऐसे भी शोध हुए हैं जिनमें इस पेय के अच्छे असर के बारे में बताया गया है. इससे टाइप 2 डायबीटिज की आशंका कम होती है, पार्किन्स या अल्जाइमर की भी. इसमें सिर्फ कैफीन ही नहीं बल्कि एंटी ऑक्सीडेंट और कुछ रासायनिक तत्व भी काम करते हैं, जो कॉफी में अहम भूमिका निभाते हैं. पराबैंगनी किरणों और जहरीली गैसों के कारण शरीर में पहुंचने वाले हानिकारक तत्व पैदा होते हैं जो कोशिकाओं को नष्ट करते हैं. कॉफी इन हानिकारक तत्वों को ही खत्म कर देती है. गुटलर के मुताबिक, "हमारा खुदका भी एंटीऑक्सीडेटिव सिस्टम होता है. कॉफी इस प्रणाली को और मजबूत कर सकती है." यानी थोड़ा फायदा तो है ही.

रिपोर्टः मार्लेना बुश/आभा मोंढे

संपादनः ईशा भाटिया

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