कॉफी प्रेमियों का देश नॉर्वे
१४ अगस्त २०१४नॉर्वे की एक कंपनी में सीनियर कम्यूनिकेशन एडवाइजर ब्रागे रोनिंगन कहते हैं, "हम ऐसा ही करते हैं. यह नॉर्वे का स्वागत करने का तरीका है. मैं अक्सर अपने दिन की शुरूआत कॉफी से करता हूं. मैं कम से कम एक कप कॉफी के बगैर घर से बाहर नहीं निकल सकता. ऑफिस में हर जगह कॉफी मशीन हैं. बीस मीटर से दूर ये नहीं होते, और हां ये सब फ्री है."
अंतरराष्ट्रीय आंकड़े नियमित रूप से नॉर्वे को उन तीन देशों में शामिल करते हैं जहां सबसे ज्यादा कॉफी पी जाती है. हर साल नॉर्वे के निवासी प्रति व्यक्ति 10 किलो कॉफी बीन्स खपा जाते हैं. जबकि दुनिया में इसका औसत प्रति व्यक्ति सिर्फ 1.3 किलोग्राम है.
कॉफी, अल्कोहल नहीं
यहां कॉफी आम तौर पर काली पी जाती है और इसे स्टोव के ऊपर केतली में ही बनाया जाता है. यह कई पीढ़ियों से नॉर्वे का राष्ट्रीय पेय है. कोई नहीं जानता कि ये कब और कैसे शुरू हुआ लेकिन कुछ ऐसा बताते हैं कि 1916 से 1927 के बीच शराब पर प्रतिबंध लगने के कारण कॉफी पी जाने लगी. यूरोप की स्पेशियलिटी कॉफी एसोसिएशन के संस्थापक आल्फ क्रामर बताते हैं, "हमारे यहां शराब की समस्या थी. इसलिए सरकारी स्तर पर तय किया गया कि मूनशाइन (व्हाइट व्हिस्की) पर रोक लगाई जाएगी. इसके लिए एक विकल्प चाहिए था तो उन्होंने कॉफी चुनी. उस समय लोगों को प्रेरित करने वाले चर्च में ही होते थे. इसलिए पादरियों ने कहा, शराब पीना बंद करो और कॉफी पियो. इसलिए यह हमारा राष्ट्रीय पेय हो गया और आज भी है."
क्रामर पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 1998 में बारिस्ता प्रतियोगिता आयोजित की क्योंकि कॉफी ब्रू करना नॉर्वे में सबको नहीं आता. उन्हें इसकी बारीकियां नहीं पता है.
परफेक्ट कॉफी
इस साल भी नॉर्वे में हुई प्रतियोगिता में अंतरराष्ट्रीय जजों ने कॉफी देखी, सूंघी और उसका टेस्ट भी किया. ऑस्ट्रिया से आई जज योहाना वेक्सेलबैर्गर ने बताया, "मैं यहां जज बन कर खुश हूं क्योंकि लोग बहुत जबरदस्त कॉफी बना रहे हैं. जो शुरू भी कर रहे हैं वो भी बढ़िया हैं. जब बात बढ़िया क्वालिटी की हो तो यहां के युवा तरह तरह के तरीके और रोस्टिंग के तरीके इस्तेमाल करते हैं.
चाहे सुबह जागने के लिए या फिर मजे के लिए या फिर आदत के तहत, नॉर्वे में कॉफी पीने वाले लोगों की कोई कमी नहीं. और मजे के लिए कॉफी पीने वालों की संख्या यहां बढ़ती जा रही है.
रिपोर्टः एम्मा वॉलिस/एएम
संपादनः महेश झा