कैसे बनाएं परमाणु बम
ईरान कहता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है लेकिन पश्चिमी देशों को शक है कि ईरान परमाणु बम बना रहा है.
ईरान की कोशिश
कई सालों से ईरान परमाणु तकनीक में अपनी जानकारी बढ़ा रहा है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए का मानना है कि ईरान 2010 से परमाणु हथियार बना रहा है
चाहना और करना
परमाणु बम की इच्छा रखने और बनाने में काफी फर्क है. ईरान के पास हथियार बनाने लायक तकनीक नहीं है. बम बनाने के पांच अहम कदम हैं. हर देश ऐसा नहीं कर सकता.
पहला कदमः सामान
एटम बम बनाने के लिए संवर्धित यूरेनियम या शुद्ध प्लूटोनियम चाहिए. ईरान के पास यूरेनियम सरघंद नाम की जगह से आता है. लेकिन यह परमाणु ऊर्जा के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
दूसरा कदम- संवर्धन
यूरेनियम को संवर्धित करना होता है. इसके लिए गैस के सेंट्रिफ्यूज में यूरेनियम को डाला जाता है ताकि उसके एटम को बांटा जा सके और न्यूक्लियर रिएक्शन शुरू हो. हथियार बनाने के लिए यूरेनियम को 85 प्रतिशत तक संवर्धित करना पड़ता है. उच्च तकनीक के सेंट्रिफ्यूज को बनाना आसान नहीं है और ईरान तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है.
तीसरा कदमः ट्रिगर
केवल संवर्धित यूरेनियम से काम नहीं चलता. एक परमाणु ट्रिगर बनाने के लिए वैज्ञानिक पहले धातु को एक ऐसी स्थिति में लाते हैं ताकि वह उत्तेजित होने पर एक प्रतिक्रिया करे. अभी तक पता नहीं है कि ईरान के पास किस हद तक यह क्षमता है.
चौथा कदमः तीली
साधारण हथियारों की तरह ही परमाणु हाथियारों की तीली होती है. ईरान के पास इसे बनाने की तकनीक है. ईरान के वैज्ञानिकों ने भी कई मॉडल बनाए हैं और प्रयोग किए हैं जो ट्रिगर का काम करते हैं. यह शाहिद बेहस्ती और आमिर कबीर विश्वविद्यालयों के दस्तावेजों से पता चला है.
पांचवा कदमः कैरियर
ईरान के पास हथियार के लिए कैरियर है. शहाब 3 मध्य दूरी तक मार करने वाला रॉकेट है और यह उत्तर कोरियाई नोदोंग 1 से काफी मिलता है. यह 2,000 किमी की दूरी तय कर सकता है. यह इस्राएल तक पहुंच सकता है.
बम की चाहत
बिना नियंत्रण के असैनिक परमाणु कार्यक्रम सैन्य कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों की तकनीकी जरूरतें लगभग एक सी हैं. क्या ईरान वाकई बम बनाने की हालत में है या भविष्य में उसका बम बनाना वहां के शासकों पर निर्भर करता है.