कैसे फैलता है मर्स वायरस
मर्स यानि मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम का वायरस दक्षिण कोरिया में काफी तेजी से फैला. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर सावधान रहने को कहा है लेकिन इसे वैश्विक स्वास्थ्य इमरजेंसी नहीं बताया. ऐसे हुआ मर्स का विस्तार.
दक्षिण कोरिया में मर्स का सबसे अधिक प्रकोप है. वहां 2012 में इसका सबसे पहला मामला सामने आया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इसका वायरस जूनोटिक किस्म का होता है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से इंसानों में फैलता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों में इस पर बहस है कि मर्स वायरस पहले ऊंटों से आया या फिर चमगादड़ों से. इसके अलावा यह भी साफ पता नहीं चल पाया है कि आखिर ये वायरस जानवरों से इंसानों में कैसे पहुंचे. इसकी भी जांच जारी है.
मर्स के वायरस को सबसे पहले 2012 में सऊदी अरब में देखा गया. सऊदी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो वहां इसने करीब 400 लोगों की जान ली और लगभग 1,000 लोगों को संक्रमित कर दिया था.
आम तौर पर अरब प्रायद्वीप में पाए जाने वाले इस वायरस के कई मामले यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में भी सामने आए हैं. हालांकि, सऊदी अरब के बाहर किसी जगह पर सबसे अधिक मामले दक्षिण कोरिया में मई 2015 से ही दर्ज हुए.
सबसे पहले जानवरों से इंसानों में आया यह वायरस अब इंसानों से इंसानों में तेजी से फैल रहा है. मर्स संक्रमण के कुल वैश्विक मामलों में करीब 36 फीसदी में मरीज की मौत हो गई है. हालांकि दक्षिण कोरिया में केवल 10 फीसदी मरीजों की ही जान गई.
जून महीने की शुरुआत में सामने आए कई मामलों के बाद अब दक्षिण कोरिया में नए मामलों की संख्या घटी है. अरब प्रायद्वीप में यात्रा करने वालों, ऊंट के संपर्क में आने वालों और दक्षिण कोरिया में अस्पताल के आसपास जाने वालों को इससे संक्रमित होने का अधिक खतरा है.
अगर किसी को मर्स वायरस का संक्रमण हो तो उसमें खांसी, बुखार और निमोनिया जैसे लक्षण दिखते हैं. लेकिन चिंता की बात ये है कि वायरस के संक्रमण के बावजूद कई मामलों में उसका कोई भी साफ लक्षण नहीं दिखा.
जर्मनी में मर्स का पहला मामला फरवरी 2015 में सामने आया जब एक 65 वर्षीय पुरुष ने अबु धाबी से लौटने के बाद अपनी जांच करवाई. इस व्यक्ति की मौत हो चुकी है और अब तक इससे बचने के लिए कोई टीका या एंटीवायरल इलाज मौजूद नहीं है.