कैलिफोर्निया में सूखे की मार
४ फ़रवरी २०१४एक जमाने में कैलिफोर्निया के किसान इतना अनाज पैदा करते थे कि उन्हें किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती थी लेकिन अब यहां के किसान खाने के लिए कतार में लग रहे हैं. यहां एक तिहाई काम कृषि से जुड़ा है. पानी की सप्लाई करने वाली एजेंसी कटौती करने जा रही है, जिसका असर बड़े पैमान पर दिखेगा. खेत में काम करने वाले किसान, खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र के मजदूर, ट्रक ड्राइवर, खाद व्यापार और ट्रैक्टर व्यापार से जुड़ों लोगों पर इसका व्यापक असर पड़ेगा. साल 2009 में आर्थिक मंदी के दौरान खेती से जुड़े शहर मेंडोटा ने बहुत संकट झेला था. उस दौरान वहां बेरोजगारी 40 फीसदी बढ़ गई थी. साथ ही वह साल सूखे का भी था. शहर के मेयर रॉबर्ट सिल्वा को डर है कि हालात और भी बदतर हो सकते हैं. सिल्वा के मुताबिक, "हमें वैसे तो खरबूजा पैदा करने की राजधानी होना चाहिए था लेकिन हम बन गए हैं खाने के लिए कतार लगाने वालों की राजधानी."
किसानों और मजदूरों पर संकट
मेंडोटा के किसानों का संकट तब शुरू हुआ जब इलाके में बेहद कम बारिश हुई. साथ ही इस साल बर्फबारी भी नहीं हुई. कैलिफोर्निया में पानी सप्लाई करने वाली एजेंसी ने कहा है कि वह किसानों को पानी नहीं दे पाएगी. मेंडोटा में फिलहाल बेरोजगारी की दर 34 फीसदी है. थॉमसन ट्रैक्टर कंपनी के महाप्रबंधक स्टीव मलांका कहते हैं कि किसानों ने पहले ही कह दिया है कि साल 2014 में वे ज्यादा गहराई वाले कुएं खोदेंगे और सिंचाई के लिए पानी पर निवेश करेंगे न कि किसानी से जुड़े सामानों पर. खेतों में काम घटने का असर मलांका के दफ्तर पर भी दिखने लगा है. आर्थिक संकट को देखते हुए मलांका को 49 कर्मचारियों को काम से हटाना पड़ेगा. सूखे का असर सिर्फ खेतों तक ही सीमित नहीं है. इसका प्रभाव ट्रांसपोर्ट के काम से जुड़ीं, टायर और ईंधन सप्लाई करने वाली कंपनियों पर भी पड़ना लाजमी है.
अर्थव्यवस्था पर असर
सूची यहीं खत्म नहीं होती है, खरबूजों की पैंकिंग में लगने वाले बक्से के कारोबार पर भी असर पड़ रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के साल 2012 के एक शोध के मुताबिक सेंट्रल वैली की कुल नौकरियों की 38 फीसदी नौकरियां खेती और खाद्य संसाधन उद्योगों से पैदा होती है. शोध के मुताबिक हर एक सौ खेती और संसाधन से जुड़ी नौकरी के 92 दूसरे और अवसर पैदा करती हैं. साल के इस समय में किसान टमाटर की खेती करते हैं. उसके बाद प्याज, लहसुन और कपास की खेती करते हैं. हुरून में सनराइज फार्म लेबर के मालिक चेक हेरिन के मुताबिक अच्छे साल में वह एक हजार से लेकर साढ़े तीन हजार मजदूरों को नौकरी पर रखते हैं. वे कहते हैं कि इस साल अगर 600 लोगों को नौकरी पर रख पाए तो खुद को भाग्यशाली समझेंगे. हेरिन कहते हैं कि जिन लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी वह खाने के लिए कतारों में लगेंगे. इस संकट के समय में सभी उम्मीद कर रहे हैं कि बारिश आ जाएगी.
एए/एम (एपी)