कैथलिक गिरजे की मुसीबतें
२ अप्रैल २०१०अमेरिका, आयरलैंड, व ख़ासकर जर्मनी में अनेक कैथलिक पादरियों पर आरोप है कि वे गिरजों द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में बच्चों के साथ यौन दूराचार में लिप्त रहे हैं. खुद पोप भी इस विवाद में फ़ंस चुके हैं, उनको इस आरोप का सामना करना पड़ रहा है कि वेटिकन में ऊंचे पदों पर रहते हुए ऐसे मामलों की जानकारी के बाद भी उन्होंने कुछ नहीं किया था. वृहस्पतिवार को सारे जर्मनी में बिशपों ने पोप के समर्थन में गिरजों में वक्तव्य पेश किए. पोप के समर्थन के लिए कैथलिक बिशपों का ऐसा अभियान गिरजे के आधुनिक इतिहास में अनोखा है.
इस बीच जर्मनी में कैथलिक गिरजे की सबसे बड़ी संस्था जर्मन बिशप कांफ़्रेंस के अध्यक्ष आर्चबिशप रोबर्ट त्सोलिच ने स्वीकार किया है कि बच्चों के साथ यौन दुराचार के मामलों से निपटने में गिरजे से ग़लतियां हुई हैं. ईस्टर त्योहार के अवसर पर अपने संदेश में उन्होंने कहा कि पिछले दशकों के दौरान कैथलिक गिरजे ने यौन दुराचार के पीड़ितों की मदद नहीं की है. बिशप कांफ़्रेंस के पूर्व अध्यक्ष मेइन के कार्डिनल कार्ल लेमान्न ने भी कैथलिक पादरियों द्वारा यौन दुराचार की कड़े शब्दों में निंदा की है.
माना जा रहा है कि ईस्टर के अवसर पर अपने संदेश में पोप बेनेडिक्ट पादरियों द्वारा बच्चों के साथ यौन दुराचार के कारण कैथलिक गिरजे में पैदा हुए संकट के बारे में सीधे-सीधे कुछ नहीं बोलेंगे. पादरियों के नाम अपने संदेश उन्होंने बस इतना ही कहा है कि ईसा मसीह की भावना में वे अपने समुदाय में शांति के पुजारियों के साथ हों, हिंसा का मुक़ाबला करें और अमन की ताकत में यकीन रखें.
कार्डिनल लेमान्न ने इस वर्ष ईस्टर के अपने संदेश में गिरजे के दायरे में विश्वासघात के मसले की विस्तार से चर्चा की है. उन्होंने कहा कि ईसा मसीह को धोखा देने वाले जुडास का मामला पहला ऐसा मामला था, लेकिन आख़िरी नहीं.
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: सचिन गौड़