केरल में दिखा दुर्लभ तितली का जीवन चक्र
२१ सितम्बर २०१०ब्लू नवाब के नाम से जानी जाने वाली इस तितली का लार्वा पोनमुदी कल्लार इलाके में देखा गया. इस तितली की खोज में निकली टीम वारब्लर्स एंड वांडर्स के सदस्यों के मुताबिक यह पहला मौका है जब केरल में ब्लू नवाब के जीवन चक्र को दर्ज किया गया है. इस टीम के सदस्य सी सुशांत कहते हैं, "इस प्रजाति को देखना ही अपने आप में बहुत दुर्लभ है. इसलिए हम बहुत रोमांचित हैं कि हमने इसका जीवन चक्र देखा."
इससे पहले 1896 में कुर्ग में ब्रिटिश वैज्ञानिक जे डेविडसन, टीआर बेल और ईएच एटकन ने इस तितली पर अध्ययन किया था. केरल के रिसर्चरों ने इन वैज्ञानिकों के अलावा अमेरिकी वैज्ञानिक कीथ वी वॉल्फ के निष्कर्षों के आधार पर अपना अध्ययन शुरू किया. हालांकि उन्हें ब्लू नवाब के अंडे नहीं मिले, लेकिन घने जंगल में वह उसका लार्वा देखने में कामयाब रहे.
सुशांत बताते हैं, "हमने देखा कि यह दुर्लभ जीव कैसे अपनी पूर्व स्थिति से नई स्थिति में जाता है. हमने स्कारलेट बाउहिनिया के पेड़ पर लार्वा की फीडिंग भी देखी." केए किशोर, बैजु और पीबी बीजु जैसे सदस्यों वाली इस टीम का कहना है कि इससे पहले के अध्ययनों में यह बात शामिल नहीं है कि ब्लू नवाब के जीवन चक्र में इस पेड़ की खास भूमिका है.
अब यह टीम इस दुर्लभ प्रजाति की तितली के बारे में अपनी जानकारी जर्नल ऑफ बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री साइंस और अन्य दूसरी विश्वस्तीय पत्रिकाओं में प्रकाशिक कराने की योजना बना रही है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन