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केन्या में जलवायु बैठक

२३ जून २०१४

सुरक्षा चिंताओं के बीच केन्या की राजधानी में जलवायु परिवर्तन पर अहम बैठक हो रही है, जिसमें 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. बैठक में जलवायु से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नियमों को कड़े करने का विचार है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एसेंबली (यूएनईए) एक नया मंच है, जिसमें सभी देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं. इसकी पहली बैठक नैरोबी में हो रही है, जिसमें वन्यजीवों के गैरकानूनी कारोबार और जहरीले कचरे तक पर सख्त कानून बनाने पर चर्चा होने वाली है. चार दिनों की बैठक में बहस होगी कि किस तरह अर्थव्यवस्था का "ग्रीन विकास" किया जा सकता है.

यूएनईए के प्रमुख आखिम श्टाइनर का कहना है, "आम तौर पर हमारे जलवायु कानून अच्छे तो होते हैं लेकिन प्रभावी नहीं." कई देशों ने जलवायु संधियों पर दस्तखत किए हैं लेकिन या तो उन्हें अमल में बहुत धीरे धीरे लाया जा रहा है या फिर वे अमल में आ ही नहीं पा रहे हैं. श्टाइनर का कहना है, "सिर्फ हस्ताक्षर करना एक कदम है. वित्त, तकनीक और कानून को सही जगह लगाना अलग बात है."

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वन्य जीवन पर खास नजरतस्वीर: picture-alliance/dpa

कानून बने और लागू हो

नैरोबी में प्रमुख जजों और कानूनी जानकारों की बातचीत होगी. वे सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे. यूएनईए ने एक बयान जारी कर कहा है, "गैरकानूनी गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है." आपराधिक गैंगों, मछली मारने और लकड़ी तस्करों के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय अपर्याप्त है.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अध्यक्ष हसन अब्देल हिलाल ने इस बात पर खुशी जताई है कि आखिरकार पर्यावरण को शांति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य का दर्जा मिला है. 2012 में यूएन पर्यावरण कार्यक्रम का दर्जा बढ़ाकर उसके प्रशासनिक परिषद को पर्यावरण एसेंबली में तब्दील कर दिया गया जिसकी बैठक हर दो साल पर होगी. संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में इसका काम पर्यावरण पर सलाह देना और वैश्विक पर्यावरण नीति की प्राथमिकताएं तय करना होगा.

ढीले ढाले नियम

अंतरराष्ट्रीय जलवायु कानूनों से जुड़ी एक अमेरीकी संस्था की प्रमुख कैरोल मफेट का कहना है कि पर्यावरण नियमों में कई खामियां हैं. वह कहती हैं कि विकसित देश आम तौर पर गरीब देशों को वित्तीय सहयोग नहीं देते हैं, जिसका वे वायदा करते हैं, "हमारा बार बार का अनुभव बताता है कि यह वित्तीय मदद कभी नहीं पहुंचती है."

कई बार समझौतों के बाद भी वे अमल में नहीं आते. उदाहरण के तौर पर पिछले साल पारा की सीमा कम करने पर अंतरराष्ट्रीय सहमति बनी थी, जिसकी वजह से इंसानों का तंत्रिका तंत्र बुरी तरह प्रभावित होता है. इसे अमल में लाने के लिए 50 फीसदी सदस्यों से पुष्टि जरूरी है और अब तक सिर्फ अमेरिका ने इसकी पुष्टि की है. चीन सहित करीब 100 देश इस पर चुप्पी बनाए बैठे हैं. श्टाइनर का कहना है कि अगर ढाई साल में 50 फीसदी देश इसकी पुष्टि कर दें, तो "यह तेज कार्रवाई" मानी जाएगी.

सुरक्षा चिंताएं

पर्यावरण एसेंबली सुरक्षा चिंताओं के बीच हो रही है. केन्या की राजधानी नैरोबी के अलावा मोम्बासा में हाल के दिनों में आतंकवादी हमले हुए हैं और आरोप है कि सोमालिया में अल कायदा से जुड़ा अल शबाब संगठन इन हमलों के पीछे है. इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों को केन्या नहीं जाने की सलाह दी है.

अमेरिकी दूतावास नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र के बड़े कार्यालय के सामने स्थित है, जहां सुरक्षा पिछले हफ्तों में कड़ी कर दी गई है. संयुक्त राष्ट्र परिसर में भी सुरक्षा कड़ी है. यूएन में केन्या के स्थायी प्रतिनिधि मार्टिन किमानी कह चुके हैं, "केन्या इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की सफलता के लिए हर संभव कदम उठा रहा है."

एजेए/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)