कुछ यूं गुजरा पोप का साल...
कैथोलिक गिरजे के प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी लिए हुए पोप फ्रांसिस को एक साल हो गया. अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका टाइम्स ने उन्हें 'पर्सन ऑफ द ईयर' भी घोषित किया. एक नजर साल के अहम पलों पर...
13 मार्च, 2013 - पहला कदम
"मैं बहुत बड़ा गुनहगार हूं. परेशानी में भी ईश्वर की दया और धैर्य पर विश्वास रखते हुए, मैं स्वीकार करता हूं." पोप का चुनाव होने पर बड़ी विनम्रता से उन्होंने इन शब्दों के साथ जिम्मेदारी स्वीकार की.
16 मार्च, 2013 - नयापन
आर्थिक असमानता के प्रति नए पोप की सोच मीडिया में कुछ इस तरह सामने आई, "गरीब जनता का तो चर्च भी गरीब होना चाहिए!"
17 मार्च, 2013 - दया जरूरी है
रविवार को होने वाली प्रार्थना सभा में उन्होंने कहा, "ईश्वर माफ करने में कभी नहीं थकता, ये हम हैं जो माफी मांगने से ऊब जाते हैं. थोड़ी सी दया से दुनिया को ज्यादा न्यायसंगत बनाया जा सकता है. हमें दयालु होने में पीछे नहीं हटना चाहिए."
28 मार्च - सेवा भाव
ईस्टर के मौके पर को पोप ने रोम की जेल में 12 युवा अपराधियों के पांव धोए. उन्होंने कहा, "जो कोई भी उच्च पद पर है उसे दूसरों की सेवा में आगे आना चाहिए. मैं यह काम पूरे मन से करता हूं क्योंकि पादरी होने के नाते यह मेरा कर्तव्य है. मेरा काम आपकी सेवा करना है."
7 जून, 2013 - विनम्रता
विनम्रता और जमीन से जुड़ाव पोप फ्रांसिस की खासियत रही है. एक छात्र के सवाल पर पोप ने कहा, "मैं पोप बनना नहीं चाहता था."
8 जुलाई, 2013 - एकता
रोम से बाहर अपनी पहली यात्रा में पोप ने इटली के द्वीप लांपेडूसा में रह रहे शरणार्थियों से मिलना तय किया. हर साल भूमध्यसागर को पार करने की कोशिश में कई अफ्रीकी डूब कर मर जाते हैं.
29 जुलाई, 2013 - समलैंगिकता पर रुख
अपनी पहली विदेश यात्रा से लौटते हुए हवाई जहाज में समलैंगिकता पर सवाल किए जाने पर पोप ने कहा, "अगर कोई समलैंगिक है और भगवान को पूरी श्रद्धा से मानता है तो मैं उसके बारे में कोई राय रखने वाला कौन होता हूं."
7 सितंबर, 2013 - सीरिया के लिए प्रार्थना
पोप के कहने पर पूरी दुनिया के कैथोलिक ईसाइयों ने सीरिया में शांति के लिए एक दिन प्रार्थना और उपवास किया.
19 सितंबर, 2013 - चर्च को बदलना होगा
लंबे इंटरव्यू में पोप ने कहा लोगों को समलैंगिकों, तलाकशुदा या गर्भपात करा चुकी महिलाओं के प्रति मन में दया रखनी चाहिए, "हमें नया संतुलन खोजना होगा वरना चर्च की नैतिकता की दीवार ताश के पत्तों से बने घर की तरह ढह जाएगी."
26 नवंबर, 2013 - गरीबों की मदद करें
कैथोलिक चर्च के पहले प्रकाशन में पोप ने आर्थिक बाजार की निंदा करते हुए इसे अदृश्य अत्याचारी के रूप में संबोधित किया. उन्होंने अमीरों को याद दिलाया कि वे गरीबों की मदद करें.