कीव के मैदान में एक दिन
मैदान के नाम से प्रसिद्ध यूक्रेन की राजधानी कीव के स्वतंत्रता चौक पर विरोध प्रदर्शन 21 नवंबर, 2013 को शुरू हुए थे. फिलिप वॉरविक ने अपनी तस्वीरों में कैद की थी मैदान की रोजमर्रा जिंदगी की ये झलकियां...
गिरते तापमान से लड़ाई
दिसंबर 2013 की शुरूआत से सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी यूक्रेन के यूरोपीय संघ के करीब आने की मांग को लेकर कीव के स्वतंत्रता चौराहे पर डेरा जमाए बैठे हैं. राजधानी के मुख्य इलाकों में से एक स्वतंत्रता चौराहे पर विरोधी कैंप लगाकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. आग जलाकर खुद को गर्म रखने की कोशिश.
गर्म रखने की जद्दोजहद
दिन के समय यहां तापमान माइनस 15 डिग्री होता है जबकि रात को तापमान अचानक माइनस 25 डिग्री तक गिर जाता है. कड़कड़ाती ठंड में जिंदा रहने के लिए टेंट सील कर दिए जाते हैं. पुलिस लकड़ी लाने वालों को भी गिरफ्तार कर लेती है.
मुफ्त में कपड़े
मैदान में जमा लोगों के समर्थकों की कोई कमी नहीं है. कीव के स्थानीय नागरिक गर्म कपड़े दान करते हैं. यहां हर तरह के कपड़े मिल जाएंगे. मोटी कोट, स्वेटर, मोजे और कमीज भी. जरूरतमंद यहां से दिन या रात, किसी भी समय कपड़ा ले सकते हैं. .
मैदान में सूप का मजा
चौबीसों घंटे मैदान में सूप बनाने वाले मौजूद रहते हैं. चाय और अलाव के सहारे हजारों प्रदर्शनकारी खुद को गर्म रखते हैं. यह सूप किचन स्थानीय लोगों की मदद से चलाया जा रहा है. स्थानीय लोग जरूरी चीजें दान करते हैं.
मुस्तफा का मशहूर पुलाव
मैदान में स्थित मुस्तफा का पुलाव किचन बेहद मशहूर है. इस किचन के सामने ठंड के मारे और भूखे लोगों की कतार लगी रहती हैं. मूल रूप से उज्बेकी और अब क्रिमिया के निवासी उज्बेकिस्तान का राष्ट्रीय खाना परोसते हैं. चावल के साथ प्याज, मसाले और मांस या मछली होती है. पुलाव को एक बड़े "कजान" में बनाया जाता है. कजान हंडी की तरह ही है जिसका इस्तेमाल मध्य एशिया और रूस में होता है.
समय काटने के लिए शतरंज
कीव में शतरंज काफी लोकप्रिय है. जमे हुए फव्वारे में शतरंज के चाल चलते लोग. शतरंज यूक्रेन का पारंपरिक और लोकप्रिय खेल है. मौसम कैसा भी हो, खेलने वालों को फर्क नहीं पड़ता.
जोश बढ़ाते गीत
मैदान में मुख्य स्टेज पर गायक लोगों का जोश बढ़ाते हैं. यूक्रेन के बैंड देशभक्ति के भजन, गीत और कविताएं सुनाते हैं. चौबीसों घंटे स्टेज पर कुछ न कुछ चलता रहा है. कभी कलाकार तो कभी अभिनेता प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ाते हैं. जब स्टेज पर कोई नहीं होता तो ऐतिहासिक डॉक्यमेन्टरीज दिखाई जाती हैं.
मैदान में मातम
लेकिन मैदान में हर वक्त हंसी मजाक का माहौल नहीं होता. पिछले महीने दंगारोधी पुलिस के साथ मुठभेड़ में तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी. इसी के साथ मृतकों की संख्या छह हो गई. मरने वालों में दो पुलिसकर्मी भी शामिल है. अब तक एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
बैरिकेड से बंटे
प्रदर्शनकारियों ने अपनी रक्षा प्रणाली का निर्माण किया है. सामने वाले बैरिकेड में प्रदर्शनकारी पुलिस से कुछ सौ मीटर की दूरी पर हैं. बर्फ, ईंट और लोहे के कबाड़ दोनों समूहों को अलग करते हैं. मैदान में नौजवान पहरा देते हैं. उनके हाथों में डंडे होते हैं और वे हेलमेट पहने होते हैं. मैदान में शराब और ड्रग्स के इस्तेमाल पर रोक की कोशिश के लिए यह अहम है.
प्रदर्शनकारियों की ट्रेनिंग
मैदान में सुरक्षा और व्यवस्था प्रदर्शनकारी खुद ही मुहैया कराते हैं. इनमें ज्यादातार पूर्व पुलिसकर्मी या फिर स्पेशल फोर्स के पूर्व सदस्य हैं. अफगानिस्तान में जंग लड़ चुके बहुत से सैनिक भी मैदान में अपनी सेवाएं देते हैं. वे सभी प्रदर्शनकारियों को जरूरी ट्रेनिंग देते हैं.