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किसान की आत्महत्या पर गर्माती राजनीति

२६ अप्रैल २०१५

अरविंद केजरीवाल ने इस घटना के बाद अपना भाषण जारी रखने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी, तो दिल्ली के संयोजक आशुतोष फूट-फूट कर रोए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसानों की मौत को देश के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया.

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तस्वीर: DW/F. Martin

केजरीवाल ने एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में कहा, "गजेंद्र सिंह के आत्महत्या करने की घटना के बावजूद अपना भाषण जारी रखना गलत था और इसके लिए मैं माफी मांगता हूं." आप की दिल्ली इकाई के संयोजक आशुतोष एक टेलीविजन चैनल पर मृतक की बेटी मेघा के साथ बातचीत में फफक-फफक कर रोए और कहा, "मैं और मेरी पार्टी गुनाहगार हैं." उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से अपील की कि वे इस मामले में राजनीति नहीं करें. गजेंद्र सिंह की बेटी मेघा ने कहा, "मेरे पिता खुदकुशी नहीं कर सकते थे. जिसने भी मेरे पिता को खुदकुशी के लिए उकसाया है उसे सजा मिलनी चाहिए."

घटना के बाद आशुतोष ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था, "यह अरविंद जी की गलती है कि वह फौरन मंच से नहीं उतरे और पेड़ पर नहीं चढ़े. अगली बार अगर ऐसा होता है तो मैं मुख्यमंत्री जी से कहूंगा कि वह खुद पेड़ पर चढ़ें और उस आदमी को आत्महत्या करने से रोकें." इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर केजरीवाल को लेकर भी तमाम तंज कसे गए. लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जो आदमी चुनावी फायदे के लिए बिजली के खंभे पर चढ़कर बिजली की तारें जोड़ सकता है वह किसी की जान बचाने के लिए पेड़ पर क्यों नहीं चढ़ा.

मुख्यमंत्री ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि किसान की आत्महत्या की घटना के बाद उन्हें रैली को रोक देना चाहिए था और यह घटना काफी विचलित करने वाली थी, "मेरी आंखों के सामने ऐसी घटना घटी. मैं रात भर सो नहीं सका. इसके पहले मैंने इस तरह की घटना का सामना नहीं किया था." उन्होंने कहा कि इस घटना के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है, "पुलिस को भी इसके लिए दोषी नहीं माना जाना चाहिए. इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और देश की जनता को किसानों की समस्याओं के समाधान के बारे में सोचने का प्रयास करना चाहिए."

गंभीर चिंता का विषय

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गजेंद्र सिंह की मौत पर लोकसभा में कहा कि किसानों की मौत देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है. प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश में किसानों की जिंदगी से बड़ी दूसरी कोई चीज नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस समस्या का व्यावहारिक समाधान सामुहिक रूप से निकालना होगा. किसानों के संबंध में पिछली कमियों पर गौर करना जरूरी है और किसानों को बचाना होगा.

यह बहस ऐसे समय में हो रही है जब एक ओर बेमौसम बरसात ने उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर फसल खराब कर दी है और कई राज्यों से किसानों की आत्महत्या की खबर आ रही है. दूसरी ओर राजनीतिक बहस सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर भी है. दो साल पहले कांग्रेस सरकार के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सहमति से बने कानून को अपर्याप्त बताकर मोदी सरकार हर हालत में नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू करना चाहती है और उसके लिए जरूरत पड़ने पर अध्यादेशों का सहारा लेने को भी तैयार है.

पिछले साल भारत के कई इलाकों में सूखे के बाद इस साल किसान सामान्य फसल की उम्मीद कर रहे थे लेकिन कटाई से कुछ दिन पहले हुई बेमौसम बरसात और तूफान ने न सिर्फ फसल बर्बाद की बल्कि बहुत से किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. हालांकि सरकारें राहत की घोषणा कर रही हैं लेकिन बेहाल किसान नाउम्मीदी हो रहा है और मौत को गले लगा रहा है. पिछले छह महीने में देश भर में सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या कर ली है.

महाराष्ट्र में पिछले तीन महीने में 601 किसानों की आत्महत्या की खबर है. महाराष्ट्र में प्रतिदिन औसतन सात किसान आत्महत्या कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हर दिन एक दर्जन किसान आत्महत्या कर रहे हैं. गुजरात और महाराष्ट्र से भी किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में निरंतर हो रही आत्महत्याएं राज्य की देवेंद्र फड़नवीस सरकार के लिए चुनौती हैं. राज्य एवं केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही सहायता आत्महत्याएं रोकने में नाकाफी साबित हो रही है.

आईबी/आरआर (वार्ता/पीटीआई)