किताबों के दुश्मन कट्टरपंथी
११ जनवरी २०१४कुछ नकाबपोश रात को सायेह किताबघर आए. उन्होंने सामने का दरवाजा तोड़ा और दुकान में आग लगा दी. वे मालिक को सजा देना चाह रहे थे. किताबघर पर हमला अचानक नहीं हुआ. कुछ दिन पहले बंदूकधारी दुकान में आए और एक कर्मचारी पर गोली चलाई. इन बंदूकधारियों ने पुलिस से भी संपर्क किया और दुकान के मालिक इब्राहीम सरूज से पुलिस ने पूछा कि क्या उसने कुरान का अपमान करने वाले लेख लिखे हैं.
सरूज कई सालों से लेबनान में मुसलमानों और ईसाइयों के बीच भाईचारे के लिए काम कर रहे हैं. पुलिस की पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि वे पहली बार इन अपमानजनक लेखों के बारे में सुन रहे हैं. यह लेख कई साल पहले प्रकाशित किए गए थे और इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. इस घटना के कुछ दिन बाद सुरक्षाकर्मियों ने सरूज से कहा कि पास की मस्जिद से मुस्लिम सदस्य उनके खिलाफ प्रदर्शन करना चाहते हैं. सरकार ने सरूज की सुरक्षा के लिए सैनिक भेजे और कहा कि प्रदर्शनकारियों को दुकान पर आने से रोका जाएगा. प्रदर्शन असफल रहा.
क्यों लगाई आग
सरूज के रिश्तेदार बितार कहते हैं कि बिल्डिंग के मालिक कई साल से सरूज को वहां से निकालने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन क्या दुकान को आग लगाने के पीछे यह वजह थी? मीडिया के बातचीत में सरूज ने कहा, "मैं अटकलें नहीं लगाना चाहता हूं." आम लोगों के कान खड़े हो गए. बिल्डिंग से बाहर निकालना तो एक बात है लेकिन अगर इसके जरिए मुस्लिम और ईसाई लोगों में झगड़ा कराने की कोशिश हो रही है तो यह सही नहीं.
सायेह किताबघर की बिल्डिंग में अब भी 15 साल तक चले गृह युद्ध के निशान हैं. 1990 में हिंसा रुकने के बाद भी दीवार में गोलियों के छेद भरे नहीं गए. आग में 80,000 किताबों में से 20 फीसदी जल कर राख हो गए और इमारत की बुरी हालत की वजह से किताबों को वहां से जल्द से जल्द निकालने की जरूरत है. और क्या मालिक इब्राहीम सरूज को इसका मुआवजा मिलेगा, यह अब तक पता नहीं. सरूज की दुकान में कई कीमती किताबें भी हैं, जैसे बहुत ही महीन अक्षरों में लिखे गए कुरान और प्राचीन ग्रंथ.
सीरिया का असर
लेबनान के पड़ोसी देश सीरिया में हिंसा बढ़ने के बाद लेबनान में शिया और सुन्नी मुसलमानों में तनाव गहरा रहा है. शिया सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की तरफदारी करते हैं और लेबनान के सुन्नी सीरिया के विद्रोहियों के पक्ष में हैं. लेबनान के ईसाई वैसे तो अलग रहते हैं लेकिन कई मुस्लिम कट्टरपंथी अब उन पर निशाना साधने लगे हैं. लेबनान में रह रहे ईसाइयों को डर है क्योंकि पिछले सालों की अस्थिरता के बाद कई ईसाई देश के बाकी हिस्से छोड़कर त्रिपोली में बस गए हैं.
त्रिपोली के दुकान में लगी आग से शहर के कई लोग नाराज हुए हैं. अब 40 साल पुराने किताब के दुकान की मरम्मत के लिए मुस्लिम और ईसाई, दोनों समुदाय के लोग साथ आ रहे हैं.
आग लगने के एक दिन बाद सायेह किताबघर के बाहर करीब दर्जन भर कार्यकर्ता जमा हुए. एक लाउडस्पीकर से सुपरहिट गायक फिरोज का गाना, आई लव यू लेबनान गूंज रहा था. लेबनान सेना का एक टैंक दुकान से कुछ ही दूर खड़ा है. कुछ सैनिक दुकान के आस पास चक्कर लगा रहे हैं. दुकान के जले फर्श को साफ करने वाला युवक मुताज सलूम जंग और हिंसा के माहौल से तंग आ गया है, "जब देखो लड़ाई, बम और लोगों की संपत्ति पर हमला. हम ऊब गए हैं, हम और चुप नहीं रह सकते."
एमजी/एजेए (एपी)