कितने दिन और मेड इन इटली
इटली कारीगरी के लिए मशहूर है. मशीनों के दौर में भी वहां कई लोग हाथ से मास्टरपीस बनाते हैं. लेकिन अब ये लोग और इनका काम खतरे में है.
मरती परंपरा
गुइलियानो रिची की वर्कशॉप की यह मशीन हाथ से उकेरी गई डिजाइन को तांबे पर उकेरती है.इसके बाद इसके छोटे डिजाइनर बॉक्स बनाए जाते हैं. हाथ से होने वाले इस काम के आखिरी मास्टरों में रिची शामिल हैं.
खतरे में खूबसूरती
हाथ काम करने वाले कारीगरों को इटली में काम नहीं मिल रहा. 34 साल की निगार अजहर अजरी को गहने बनाने की ट्रेनिंग के लिए कई दरवाजे कटखटाने पड़े.
गायब होती कारीगरी
निगार अजहर अजरी के स्टुडियो में बारीक कामगिरी और कार्विंग के काम है. उन्होंने इटली के खास बोलिनी औजारों से ये काम किया है. मशहूर गुइलियानो रिची से उन्होंने ये पारंपरिक काम सीखा. लेकिन अधिकतर युवा ये काम नहीं सीख रहे.
40 लाख टेलर
एक जमाने में टेलर पाओला गुएली के लिए यह कैंची सबसे अहम थी. यह उन्हें अपने पिता से मिली है. 1950 के दशक में उनके पिता के नीचे 30 लोग काम करते थे. और इटली में करीब 40 लाख टेलर थे. आज भी यहां सात लाख टेलर हैं. लेकिन रोजगार में भारी कमी.
अनिश्चित भविष्य
कई सालों के अनुभव के बाद भी पाउला और उनके पिता रफाएले का भविष्य अनिश्चित है. भारी बेरोजगारी के बावजूद पांच में से एक टेलर को नौकरी नहीं मिलती. नए लोग टेलर नहीं डिजाइनर बनना चाहते हैं.
बड़ा नुकसान
पॉला गुएली कहती हैं कि इटली अपने बहुत सारे हाथ खो देगा. 'मेरे तो बहुत छोटे हैं. लेकिन बहुत बड़े भी हैं. दुख की बात है कि हमें नजरअंदाज किया जा रहा है.' वह कहती हैं कि सरकार और इस विधा से जुड़े लोग जरूरी मदद नहीं कर रहे.
खतरनाक बेकिंग
बेकरी में काम करना वैसे तो कारीगरी है. लेकिन सिसली के बेकर चिंता में हैं. उन्हें माफिया से भी दो चार होना पड़ता है. मिकेले डी अलोइसी और बेटे फ्रांसेस्को ने माफिया के सामने झुकने से इनकार कर दिया तो उनकी बेकरी में आग लगा दी गई.
बढ़ता लाभ
बेकरियों में काफी मेहनत से काम होता है. लेकिन सिसली के कई बेकर अपनी दुकान बंद करने को मजबूर हैं. आर्थिक संकट, माफिया की दादागिरी, सुपर मार्केटों की सस्ती ब्रेड इसका मुख्य कारण है.