क्या सही है जिहादियों पर ड्रोन हमला?
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री मिशाएल फैलन पहले ही एक ऐसी सूची के बारे में बता चुके हैं जिसमें उन इस्लामी आतंकवादियों के नाम हैं जिनसे सरकार निपटना चाहती है. इस लिस्ट में उन सैकड़ों इस्लामवादी कट्टरपंथियों में से कुछ के नाम हैं जो ब्रिटेन छोड़ कर कथित इस्लामिक स्टेट का साथ देने सीरिया और इराक का रुख कर चुके हैं.
ऐसा ही एक सूची में शामिल नाम है “जिहादी जॉन" का, एक ब्रिटिश नागरिक जिसने सार्वजनिक रूप से कई सारे आईएस बंधकों को मौत के घाट उतारा था. उसने अपनी इन क्रूर और अक्षम हत्याओं का फुटेज इंटरनेट पर भी डाला था.
सवाल यह उठता है कि क्या और कोई विकल्प है? क्या एक देश का प्रधानमंत्री अपने रक्षा प्रमुखों की सलाह को नजरअंदाज करने का जोखिम उठा सकता है? क्या वह अपने देश पर आतंकी हमले होने का खतरा मोल ले सकता है? नहीं, वह ऐसा नहीं कर सकता. हम सब जानते हैं कि इस्लामिक स्टेट कितना घातक है. हम यह भी जानते हैं कि वह हमें तबाह करना चाहता है. किसी भी नेता के लिए ऐसे फैसले लेना नि:संदेह बेहद कठिन होगा. सरकार का यह पक्ष है कि देश पर मंडराते एक वास्तविक खतरे को देखते हुए यह ड्रोन हमले कानूनन न्यायोचित हैं.
मगर हमें इस्लामिक स्टेट की क्रूरता और नीचता के कारण कोई निर्णय लेने से बचना चाहिए. ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी का इस मुद्दे पर सरकार के मत और कानूनी स्थिति को स्पष्ट करने की मांग करना जायज है.अगर ऐसे हवाई हमले रोज होने लगें, जो केवल सत्तासीन लोगों के पास मौजूद किसी गुप्त साक्ष्य पर आधारित हों, तो हम खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं.
ब्रिटिश सरकार को इन तथाकथित राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के पीछे ना छुप कर इस फैसले को लेने की वजह बनने वाले उन दस्तावेजों को उजागर करना चाहिए. अक्सर गुप्त रहने वाली संसदीय समितियां, जो राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों को देखती हैं, उन्हें पहले ही इन फैसलों को परखने का अवसर मिलना चाहिए. यही एक रास्ता है जिससे जनता को तसल्ली मिलेगी कि सरकार नागरिकों के अधिकारों की अनदेखी नहीं कर रही है. हमें किसी भी कीमत पर इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अपने संघर्ष को हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाने नहीं देना चाहिए.
ब्लॉग: ग्रैहम लूकस