कार्यकाल पर उठा विवाद देश में ही सुलझाओ: गिल
२३ मई २०१०खेल पदाधिकारियों के कार्यकाल पर लगाम कसने की खेल मंत्रालय की कोशिश के बाद से ही दोनों पक्षों में टकराव नजर आ रहा है. भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के लिए थोड़ी राहत की सांस जरूर है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आईओसी) इस मुद्दे पर खेल मंत्रालय से दूर खड़ी नजर आ रही है और इससे कलमाड़ी एंड कंपनी को सहारा मिला है.
गिल का कहना है कि उन्हें आईओसी से खत मिल चुका है लेकिन इस विवाद को देश में ही सुलझाया जाना चाहिए. "मुझे आईओसी का पत्र मिला है और मैं समझ सकता हूं कि इसे बार बार क्यों लिखा जा रहा है. यह हमारे आपस का मुद्दा है और देश में ही सुलझाया जाना चाहिए. खेल पदाधिकारियों का कार्यकाल और उनकी रिटायरमेंट की उम्र तय होनी चाहिए. मैंने कोई नए दिशानिर्देश जारी नहीं किए है बल्कि 1975 की गाइडलाइन को अमल में लाने की बात कही है."
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी सहित अन्य खेल प्रशासकों को इस विवाद में एक नया हथियार तब मिला जब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आईओसी) ने कार्यकाल निर्धारण संबंधी खेल मंत्रालय की दलील को खारिज कर दिया. आईओसी ने चेतावनी दी है कि अगर इस तरह का कदम उठाया गया तो भारत को ओलंपिक परिवार से बाहर किया जा सकता है.
खेल मंत्री एमएस गिल को लिखे पत्र में आईओसी ने लिखा है कि अगर मंत्रालय अपने दिशानिर्देश लागू कराने पर अड़ा रहता है तो इस मुद्दे को आईओसी के कार्यकारी बोर्ड की मीटिंग में उठाया जाएगा जिसमें भारत को ओलंपिक परिवार से निलंबित किया जा सकता है या फिर ओलंपिक से भारत की मान्यता खत्म हो सकती है.
खेल मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन, भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कार्यकाल 12 साल तक निर्धारित किया गया है. जबकि सचिव और कोषाध्यक्ष लगातार आठ साल से ज्यादा अपने पद पर नहीं बने रह सकते. साथ ही सभी पदाधिकारियों के लिए रिटायरमेंट की उम्र 70 साल निर्धारित की गई है. जिन अधिकारियों पर नए दिशानिर्देशों की गाज गिरने की संभावना है उनमें आईओए अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी, तीरंदाजी एसोसिएशन के अध्यक्ष वीके मल्होत्रा, साइक्लिंग में सुखदेव सिंह ढींढसा प्रमुख हैं.
भारत में नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन और भारतीय ओलंपिक संघ ने खेल मंत्रालय के दिशानिर्देश जारी करने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है और पुरजोर ढंग से उसका विरोध करने की बात कही है. अब भारतीय खेल संस्थाओं को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद का भी समर्थन मिल गया है जो खेल संस्थाओं में सरकारी दखलअंदाजी के पक्ष में नहीं है.
भारत की तमाम बड़ी खेल संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर नेताओं का प्रभुत्व है और कई पदाधिकारी ऐसे हैं जो अपने पद पर तीन दशकों से बने हुए हैं. ऐसे में खेल मंत्री ने पारदर्शिता और पेशेवर कार्य संस्कृति लाने की बात कह कर नए दिशानिर्देश जारी किए थे लेकिन फिलहाल उनका लागू हो पाना मुश्किल लग रहा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह