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कारोबारी बोले, भारत को स्थायी सीट दो

२ नवम्बर २०१०

भारत अमेरिका कारोबारी संघ ने राष्ट्रपति बराक ओबामा पर सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए दबाव बनाया है. कारोबारियों ने एच-1बी वीजा फीस बढ़ाने और आउटसोर्सिंग रोकने जैसे मुद्दों पर भी बात की.

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तस्वीर: UN Photo/Eric Kanalstein

अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे से पहले कारोबारियों ने भारत के लिए खास दोतरफा निर्यात लाइसेंस को हटाने के साथ ही रक्षा उपकरणों की खरीदारी पर रोक लगाने की भी मांग की. कारोबारी इतने पर ही नहीं रुके. भारत अमेरिका कारोबार संघ, यूएसआईबीसी की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट में भारत से विदेशी निवेश की सीमा 74 फीसदी से बढ़ाने की भी मांग की गई.

पार्टनर्स इन प्रॉसपेरिटी बिजनस लीडिंग द वे नाम की यूएसआईबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, "निश्चित रुप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दुनिया में सुरक्षा के मसले पर फैसले लेने वाला संगठन है. भारत अमेरिकी कारोबारी समुदाय मानता है कि हमारी साझेदारी की शुरुआत यहीं से होनी चाहिए." इस रिपोर्ट में साफ साफ कहा गया है, "राष्ट्रपति ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और भारत को इसमें स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की बात कही है, इससे दोनों देशों के बीच हर स्तर पर बेहतर संबंध की जमीन तैयार होगी."

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि अमेरिकी कांग्रेस के मध्यावधि चुनावों ने आउटसोर्सिंग पर लोगों की चिंता दूर कर दी है पर एच1-बी वीजा की फीस बढ़ने से भारतीय कंपनियों की चिंता बढ़ गई है. 12 पन्नों की रिपोर्ट में लिखा गया है, "रास्ते की ये बाधाएं चुनौती और अवसर दोनों हैं. आगे का रास्ता शानदार है लेकिन वहां पहुंचने के लिए दोनों देशों को लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना होगा जो अमेरिका और भारत के बीच गहरे कारोबारी रिश्तों की वकालत करते हैं."

रिपोर्ट में मांग की गई है कि अमेरिकी भारत को उन्नत तकनीक और रक्षा सहयोग के मामले में सूचनाओं के लेनदेन के लिए 'फेवर्ड नेशन' का दर्जा दे. यह मानते हुए कि अमेरिका में रक्षा सौदों की प्रक्रियाएं लंबी और जटिल हैं, भारत के लिए अलग से एक अधिकारी की नियुक्ति करने की भी मांग रखी गई. इस अधिकारी की जिम्मेदारी इन प्रक्रियाओं के दलदल से कंपनियों को आसानी से निकालने की होगी.

इसके साथ ही भारत से भी नौकरशाही को थोड़ा लचीला बनाने की मांग रखी गई है. रक्षा उद्योग में विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बढ़ा कर 74 फीसदी करने की मांग की गई है. इसके साथ ही भारत के रीटेल सेक्टर में बड़ी कंपनियों के उतरने का रास्ता तैयार करने की मांग भी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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