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कारगिल के इतिहास में हेराफेरी

२७ मई २०१०

भारतीय सेना के एक ट्रिब्यूनल ने कारगिल संघर्ष के दौरान एक शीर्ष कमांडर को रिकॉर्ड लिखने में हेराफेरी का दोषी पाया है. ट्रिब्यूनल ने कहा है कि इतिहास लिखने में ब्रिगेडियर के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया.

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तस्वीर: AP

ट्रिब्यूनल ने भारतीय सेना से कहा है कि 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान 70वीं इनफैन्ट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर देविन्दर सिंह को रिटायर होने के बावजूद पदोन्नति करके मेजर जनरल का ओहदा दिया जाए. सैनिक अदालत ने कहा कि इस संबंध में लेफ्टिनेंट जनरल किशन पाल के लिखे रिकॉर्ड दुरुस्त किए जाएं और सही तरीके से पेश किए जाएं. लेफ्टिनेंट जनरल पाल कारगिल संघर्ष के दौरान 15वें कोर के कमांडर (जीओसी) थे. ब्रिगेडियर सिंह की कमान में उनकी ब्रिगेड ने कई अहम जीत हासिल की थीं.

जस्टिस एके माथुर की अगुवाई वाले ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि सालाना खुफिया रिपोर्ट निष्पक्ष और भेद भाव रहित तरीके से नहीं लिखी गई. सैनिक अदालत ने कहा कि भेद भाव के साथ लिखी गई रिपोर्ट को हटाना होगा और लेफ्टिनेंट जनरल पाल ने ब्रिगेडियर सिंह की उपलब्धियों को जान बूझ कर नजरअंदाज किया है.

फैसले के बाद खुश नजर आ रहे ब्रिगेडियर देविन्दर सिंह ने कहा, "ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद मुझे मेजर जनरल के पद पर उन्नति दी जाएगी और इस संबंध में जो रिकॉर्ड हैं, उन्हें दुरुस्त किया जाएगा."

ब्रिगेडियर सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि कारगिल संघर्ष के बाद की रिपोर्ट में लेफ्टिनेंट जनरल पाल ने उनकी चार सबसे बड़ी कामयाबियों को किसी और ब्रिगेडियर दुग्गल के नाम कर दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने ब्रिगेडियर सिंह की याचिका सेना के ट्रिब्यूनल के पास भेजी थी.

ब्रिगेडियर सिंह ने कहा, "इसकी वजह सिर्फ लेफ्टिनेंट पाल ही जानते हैं कि उन्होंने क्यों मेरी कामयाबी को ब्रिगेडियर दुग्गल के नाम कर दिया और मेरी ब्रिगेड को खराब बता कर आंका. हालांकि इससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ और उन्हें पदोन्नति भी नहीं मिली. लेकिन मुझे काफी नुकसान हुआ."

सैनिक अदालत ने कहा है कि लेफ्टिनेंट पाल ने ब्रिगेडियर सिंह के बारे में जो भी रिकॉर्ड लिखे हैं, उन्हें निकाल दिया जाए. ब्रिगेडियर सिंह के मुताबिक ट्रिब्यूनल ने पाया है कि रिपोर्ट में उनकी कामयाबी को कम करके आंका गया.

कारगिल संघर्ष के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल पाल की कमान वाली 15वीं कोर की जिम्मेदारी पाकिस्तानी सैनिक और घुसपैठियों को पहाड़ी की चोटियों और राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए से खदेड़ने की थी. 15वीं कोर का बेस श्रीनगर में है. ब्रिगेडियर सिंह का कहना है कि कारगिल संघर्ष के 11 साल बाद उन्हें न्याय मिला है.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः ए कुमार