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कानकुन में समझौते की उम्मीद बढ़ी

११ दिसम्बर २०१०

मेक्सिको के कानकुन शहर में जलवायु सम्मेलन के अंतिम दिन समझौते के आसार बढ़े. समापन बयान के मसौदे में औद्योगिक देशों ने विकासशील देशों को कांचघर गैसों में कमी का लक्ष्य तय करने के लिए अधिक समय देने की तैयारी व्यक्त की है.

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तस्वीर: picture-alliance/Zhao wei km

मंत्रियों की बैठक द्वारा तैयार मसौदे में दूसरे चरण की बात कही गई है जिसमें धनी देश क्योटो संधि की तरह ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती का ठोस आश्वासन देंगे. प्रयावरण संरक्षकों ने सावधान उम्मीद जताई है. ग्रीनपीस इंटरनैशनल के वेंडेल ट्रियो ने कहा है, "यदि आज फैसला हो जाता है तो यह संभवतः एक नया मोड़ होगा."

धनी औद्योगिक देश खासकर उभरते विकासशील देशों से कार्बन डाय ऑक्साइड में कमी में अधिक हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं. लेकिन चीन, ब्राजील और भारत जैसे देश इसका और कटौती के आश्वासन के जरिए अपनी आर्थिक प्रगति को संकुचित करने का विरोध कर रहे हैं.

जलवायु सम्मेलन के अंतिम दिन सौ से अधिक पर्यावरण मंत्री रातभर की सौदेबाजी के लिए तैयार हैं ताकि समझौता हो सके. एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधि ने कहा है, "यह पूरी रात चलेगा, और बारह से अठारह घंटे." समापन बयान पर संयुक्त राष्ट्र के सभी 192 सदस्यों को सहमत होना होगा.

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तस्वीर: AP

चीन के साथ सबसे अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला अमेरिका सहमति की संभावना पर टिप्पणी करने से बच रहा है. प्रतिनिधिमंडल के उपनेता जोनाथन पर्शिंग ने कहा, "यह जानने का समय नहीं आया है." विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने अब तक कम उत्सर्जन का वायदा नहीं किया है.

चीन ने इस संभावना से इंकार नहीं किया है कि अंत में समझौतों का एक पैकेज तय हो सकता है. मुख्य वार्ताकार हुआंग हुईकांग का कहना है, "सबसे बड़ी समस्या पहले की ही तरह क्योटो संधि को बढ़ाने की है और यहां वायदों का दूसरा चरण प्रमुख तत्व है."

इसके अलावा मसौदे में छोटे मोटे समझौते प्रस्तावित हैं. 2020 से सालाना 100 अरब यूरो को ग्रीन बजट तय करने के अलावा तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री से कम रखने का लक्ष्य तय किया जाएगा और वित्तीय सहायता देकर वर्षावनों को काटे जाने से बचाया जाएगा. ग्रीन बजट विकासशील देशों को पर्यावरण सुरक्षा का खर्च उठाने में मदद करेगा. लेकिन पर्यावरण सुरक्षा के लिए धनी देशों से सकल घरेलू उत्पादन के 1.5 प्रतिशत देने की मांग बयान में शामिल नहीं है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ओ सिंह

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