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कांग्रेस के पीछे फिर पड़ा बोफोर्स का भूत

३ जनवरी २०११

बोफोर्स का जिन्न एक बार फिर बोतल खोल कर निकल आया है और अबकी बार इनकम टैक्स के एक ट्रिब्यूनल का कहना है कि विन चड्ढा और ओत्तावियो क्वात्रोकी को दिए गए 41 करोड़ रुपये की दलाली का टैक्स उन्हें भारत में चुकाना है.

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तस्वीर: AP

1980 के दशक में होवित्जर तोप सौदे में करोड़ों की हेराफेरी का इलजाम लगा और इसमें इतालवी व्यापारी क्वात्रोकी मुख्य आरोपी हैं. इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल ने अपने 98 पेज के आदेश में कहा, "इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाने से संदेश जाएगा कि भारत एक कमजोर देश है और कोई भी यहां टैक्स की हेराफेरी कर सकता है."

ट्रिब्यूनल ने यह आदेश विन चड्ढा के बेटे की अपील को खारिज करते हुए दिया. चड्ढा ने इनकम टैक्स के मांगे जा रहे 52 करोड़ 85 लाख रुपये के बकाया को रद्द करने की मांग की थी. आदेश में बंदूक बनाने वाली कंपनी बोफोर्स के उस बयान की भी चर्चा है, जिसमें कंपनी ने इस बात से इनकार किया था कि उसने 1437 करोड़ के सौदे के लिए किसी बिचौलिए का इस्तेमाल किया था.

ट्रिब्यूनल ने कहा कि हो सकता है कि बोफोर्स ने सौदे के पैसे से कमीशन की रकम हटा दी हो और ऐसे में सरकार को 41 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना है, जो क्वात्रोकी और चड्ढा को दिए गए.

Ottavio Quattrocchi, italienischer Geschäftsmann
क्वात्रोकीतस्वीर: AP

बोफोर्स पर इनकम टैक्स के विभाग का यह आदेश ऐसे वक्त में आया है, जब कांग्रेस सरकार कई घोटालों में फंसी है और क्वात्रोकी की गांधी नेहरू परिवार से नजदीकी के बारे में सबको पता है. क्वात्रोकी 1993 में भारत से चले गए थे.

आदेश में जिक्र है कि 32.66 करोड़ रुपये का कमीशन स्वेन्सका, पनामा में ट्रांसफर किया गया, जो बाद में पता चला कि चड्ढा का है. इसे स्विट्जरलैंड के एक बैंक अकाउंड में जमा किया गया. इसी तरह 8.57 करोड़ रुपये का कमीशन जेनेवा में एई सर्विसेज लिमिटेड के खाते में गया, जो सिर्फ दो हफ्ते पहले खोला गया था.

आरसी शर्मा और आरपी तोलानी की दो सदस्यीय बेंच ने कहा कि विन चड्ढा और क्वात्रोकी को दिए गए पैसों के एवज में भारत में टैक्स देना बनता है. उन्होंने कहा, "हमारी नजर में कानून को लागू करने के लिए इनकम टैक्स को वे सभी कदम उठाने होंगे, जिससे मामले का तार्किक अंत हो सके. इस दिशा में कदम नहीं उठाया गया, तो भारत की छवि ऐसी बनेगी, जिसके कानून और टैक्स प्रणाली से आसानी से छेड़छाड़ किया जा सके."

ट्रिब्यूनल ने कहा कि चड्ढा लंबे वक्त से भारत में बोफोर्स का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. टैक्स अधिकारियों की जांच में पता लगा है कि उन्हें बोफोर्स सौदे में उस पैसे से कहीं ज्यादा रकम मिली, जितने के लिए उन्होंने टैक्स भरा. भारत में राजनीतिक विवाद के बाद भारत ने स्वीडन की सरकार से अपील की थी कि वह दलाली के आरोपों की जांच कराए.

स्वीडिश नेशनल ऑडिट ब्यूरो की जांच में पता लगा कि बोफोर्स ने भारत में अपने पूर्व एजेंट को 28 से 42 करोड़ रुपये की दलाली दी लेकिन बिचौलिए का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया.

ट्रिब्यूनल ने क्वात्रोकी पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह 1965 से 1993 के बीच भारत में रहे. इस दौरान सिर्फ दो साल भारत से बाहर रहे. आदेश में कहा गया, "वह चार्टर्ड अकांउंटेंट थे, जो स्नैमप्रोगेटी कंपनी के लिए काम कर रहे थे. वह तेल रिफाइनरी, गैस प्रोसेसिंग, पेट्रोकेमिकल और फर्टिलाइजर के क्षेत्र में काम कर रहे थे. उन्हें या उनकी कंपनी को बंदूक सौदे का कोई अनुभव नहीं था."

ट्रिब्यूनल का कहना है कि चड्ढा और क्वात्रोकी बोफोर्स से मिले पैसों को लगातार एक खाते से दूसरे न्यायाधिकार क्षेत्र के खाते में ट्रांसफर कर रहे थे ताकि किसी को उनके पैसों के बारे में जानकारी न हो पाए.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः महेश झा