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जब पेन किलर दवा हो जाए खतरा-ए-जान

ऋतिका पाण्डेय (डीपीए)३ जून २०१६

शक्तिशाली पेन किलर की लत पड़ जाने का आपके जीवन पर क्या असर हो सकता है, यह हैरान करने वाला है. हाल ही में पॉप सुपरस्टार प्रिंस ऐसी ही दर्द निवारक दवाओं के ओवरडोज के कारण जान गंवाने वाले मशहूर लोगों में शामिल है.

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USA Sänger Prince in dem Film Under the Cherry Moon
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Keystone USA

जिस बात की आशंका थी वही हुआ. इस बात की आधिकारिक पुष्टि हो गई है कि म्यूजिक सुपरस्टार प्रिंस ने डॉक्टर की बताई पेन किलर दवाइयों का ओवरडोज लिया और वही उनकी मौत का कारण बना. मेडिकल परीक्षण से पता चला है कि प्रिंस ने खुद सिंथेटिक ओपियेट फेंटानिल की बहुत सारी मात्रा का सेवन किया. बाद में उन्हें लिफ्ट में मृत पाया गया.

कई खबरों में बताया गया कि इसके अगले ही दिन वे एक एडिक्शन स्पेशलिस्ट से मिलने जाने वाले थे. अल्कोहल और ड्रग्स को त्याग देने वाले प्रिंस को डॉक्टर की बताई दवाओं की लत लग गई थी. और ऐसा पहले भी कई लोगों के साथ हो चुका है.

जब आप दर्द से जूझ रहे हों तो राहत के लिए कोई भी दर्द निवारक गटक लेना गलत नहीं लगता. लेकिन दर्द निवारकों का नियमित प्रयोग आपकी किडनी भी खराब कर सकता है.

2008 में अमेरिकी एक्टर हीथर लेजर की मौत भी प्रिस्क्रिप्शन पेन किलर दवाओं के ओवर डोज से हुई थी. इसके पहले हॉलीवुड अभिनेत्री विनोना राइडर और संगीतकार कॉर्टनी लव जैसे सेलेब्रिटी खुद इन दवाओं की लत लगने के बारे में सार्वजनिक रूप से बोल चुके हैं. अमेरिका के सरकारी स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार 2013 में करीब 20 लाख अमेरिकियों को प्रिस्क्रिप्शन ओपियम आधारित पेन किलर दवाओं की लत थी. इस तरह की दवाओं पर निर्भरता अक्सर तभी बढ़ती है जब डॉक्टर अपने मरीजों को नियमित रूप से शक्तिशाली पेन किलर लेने की सलाह देते हैं.

1980 के दशक में ओपियॉइड दवाइयां केवल उन ही मरीजों को दी जाती थीं जो किसी बड़ी सर्जरी या कैंसर के इलाज से उबर रहे हों. 1990 के दशक से इन दवाइयों को शरीर में दर्द की आम शिकायतों पर भी लिखा जानने लगा. 2000 से लेकर तो मरीजों को ऐसी दवाएं लिखे जाने की दर तीन गुनी हो गई और इसी के साथ इसके कारण मरने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ गई. साल 2014 में केवल अमेरिका में ही 28,400 लोग ओपियेट्स के कारण मारे गए. इनमें से कई लोग डॉक्टर की लिखी पेनकिलर दवाई ले रहे थे तो कई बिल्कुल इसी रासायनिक संरचना वाले ड्रग्स हेरोइन का सेवन करते थे.

2010 में इस समस्या की ओर जनता का ध्यान जाना शुरु हुआ. इस समय तक दुनिया के कुल ओपियेट की करीब 80 फीसदी मात्रा की केवल अमेरिका में खपत हो रही थी. तब से इसकी कीमतें बढ़ा दी गईं और इसका आसानी से मिलना भी संभव नहीं रहा. दवाइयों का फॉर्मूला भी बदला गया जिससे उसे घोल कर या इंजेक्शन के माध्यम से लेना संभव ना रहे. आज आम बाजार से निकल कर ऐसी पेन किलर दवाओं और हेरोइन की काला बाजारी हो रही है. प्रिंस की जान लेने वाली दवा फेंटानिल हेरोइन ड्रग्स से 50 गुना ज्यादा शक्तिशाली होती है. चीनी के तीन दानों के बराबर मात्रा ही एक युवा व्यक्ति की जान लेने के लिए काफी है.

कई अमेरिकी राज्य पेन किलर की इस महामारी से निपटने के लिए प्रिस्क्रिप्शन के पहलू पर ध्यान दे रहे हैं. ऐसे लोग जिन्हें इसकी लत लग जाती है वे कई डॉक्टरों के पास जा जाकर यह दवा लिखवा लेते हैं और फिर उसका दुरुपयोग करते हैं. अब इसके लिए एक डाटाबेस है जिस पर मरीज की दवा की जानकारी लिखी हो. लेकिन फिलहाल केवल आधे डॉक्टर ही इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ओपियॉइड के लती लोगों को इस बुरी आदत से बाहर निकालने के लिए खास कार्यक्रम चलाना चाहते हैं. अमेरिकी संसद में पेन किलर के ऐसे लती लोगों की मदद के लिए एक दर्जन से अधिक कानून बनने जा रहे हैं और इसके लिए 2017 के अमेरिकी बजट में 1.1 अरब डॉलर की राशि तय की गई है.