कहां गई तितलियां?
हरे भरे मैदानों में इठलाती घूमती तितलियों की तादाद यूरोप में एकदम कम हो गई है. ताजा शोध के मुताबिक 1990 की तुलना में तितलियों की संख्या आधी हो गई है.
द कॉमन ब्लू
इस नाम से मशहूर तितली का जूलॉजिकल नाम पोलियोम्मैटस इकैरस है. यह कभी पूरे यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया में मिलती थी. नदी किनारे निचले मैदानों या फिर पहाड़ों के मैदानों में ये पाई जाती हैं. हालांकि ये बहुत अच्छे से खुद को बदलती है, लेकिन ये भी अब खतरे में आ गई हैं. कारण मैदानों का खेतों और घरों में तब्दील हो जाना.
नुकसान
घास वाले मैदानों पर खूब जंगली फूल होते हैं. यहां द ऑरेंजटिप, द कॉमन ब्लू और ललवर्थ स्किपर नाम की तितलियां मिलती हैं. ये अलग अलग पौधों से रस लेती हैं. कुछ तितलियां मैदान पर बैठती हैं, तो कुछ खुद को बचाने के लिए पत्तों और फूलों के पीछे छिप जाती हैं. .
बहुत खेती
बहुत ज्यादा खेती, ताकतवर कीटनाशकों और खाद के इस्तेमाल ने यूरोपीय संघ के कई इलाकों को बहुत जहरीला बना दिया है. यूरोपीय संघ में सामान्य कृषि नीति के तहत इन मैदानों की सुरक्षा के नियम तो हैं, लेकिन निर्देश साफ नहीं है और किसानों को फायदा नहीं के बराबर.
सीधा असर
तितलियों के गायब होने का असर पक्षियों सहित उन जीवों पर भी पड़ता है जो तितलियां खा कर जिंदा रहते हैं. इस बात के काफी सबूत हैं कि तितलियों की संख्या जब भी कम होती है तो खाद्य श्रृंखला में ऊपर के जीव भी कम होने लगते हैं.
रंग बिरंगी
ऑरेंज टिप नाम की इस तितली को विज्ञान की भाषा में एंथोकैरिस कार्डेमिनेस कहते हैं. इसने खेती में बढ़ोतरी के दौर में खुद को बचा लिया. इस प्रजाति की नर तितली के पंख भड़कीले रंग के होते हैं. ये जंगली फूलों का रस चूसती हैं और खुला पानी भी पी सकती हैं.
परागण कम
शोधकर्ताओं ने तितलियों की 17 प्रजातियों पर दो दशक तक शोध किया. इस दौरान उन्होंने तितलियों की संख्या, प्रजनन और खाने पर ध्यान दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि तितलियां जरूरी हैं क्योंकि वे फूलों के परागण में मदद करती हैं और मधुमक्खियों की तरह कई कीटों का खाना होती हैं.
तितलियों के अंडे
तितलियां घास के तिनके या फूलों पर अंडे देती हैं या फिर ऊंची घास वाले मैदानों में. कैटरपिलर को बढ़ने के लिए जगह की जरूरत होती है और कोकून में बंद प्यूपा को सर्दियों में जिंदा रहने के लिए भी.
दो की सत्ता
मैदानों में पाई जाने वाली तितलियों की दो प्रजातियों की संख्या थोड़ी बढ़ी है, खासकर यूरोप में. रेड अंडरविंग स्किपर (स्पियालिया सर्टोरियस) और माजारीन ब्लू (सियानिरिस सेमियार्गस) की संख्या बढ़ी है. हालांकि ये भी बहुत ज्यादा खेती से बच नहीं पाएंगी. 20वीं सदी की शुरुआत में माजारीन ब्लू ब्रिटेन के मैदानों से बिलकुल गायब हो गई.
बचने का मौका
यूरोप की कॉमन एग्रीकल्चरल पॉलिसी (कैप) में इन तितलियों को बचाने की संभावना है. कैप में संशोधन किया जा रहा है. अगर मैदान की विस्तृत परिभाषा को इस नीति में शामिल किया जाए, तो जंगली मैदानों को सुरक्षित रखने के लिए किसानों को सीधे पैसे दिए जा सकेंगे.
टूटे पंख
यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी ईईए के मुताबिक जंगली घास वाले मैदानों के खत्म होने के कारण तितलियों की संख्या में एकदम कमी आई है. .