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कसाब पर क्रेडिट, अंसारी और सबाहुद्दीन पर चुप्पी

४ मई २०१०

क़साब, अंसारी और सबाहुद्दीन पर आए अदालती फ़ैसले पर कई प्रतिक्रियाएं. महाराष्ट्र के सीएम ने खिसियाई मुंबई पुलिस की तारीफ़ की. गृह मंत्री ने कहा, अंसारी और सबाहुद्दीन का बरी होना न्याय व्यवस्था की आज़ादी को दिखाता है.

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तस्वीर: AP

मुंबई पुलिस की पीठ थपथपाते हुए चव्हाण ने कहा, ''यह महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फ़ैसला है. मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के फ़ैसले का इंतज़ार किया जा रहा था. एक साल की समय सीमा के भीतर ठोस सबूत जुटाकर महाराष्ट्र पुलिस ने अच्छा काम किया है.'' वैसे कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि क़साब के ख़िलाफ़ मुंबई हमलों के दौरान ही पर्याप्त सबूत जमा हो गए थे.

अदालत ने साज़िश रचने के आरोपी फ़हीम अंसारी और सबाहुद्दीन अहमद को बरी कर दिया. मुंबई पुलिस के लिए यह एक बड़ा झटका है, जिसका ज़िक्र न तो मुख्यमंत्री कर रहे हैं और न ही पुलिस.

पुलिस का आरोप था कि अंसारी और सबाहुद्दीन ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को नक्शे मुहैय्या कराए थे. इसके जवाब में विशेष अदालत के न्यायाधीश एमएल तहलियानी ने कहा, कि इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं. अदालत ने पुलिस के सबूतों को ख़ारिज करते हुए कहा कि नक्शे तो कोई गूगल से भी निकाल सकता है. अभियोजन पक्ष के पास इस तर्क का कोई जवाब नहीं था.

Palaniappan Chidambaram Innenminister Indien
पाकिस्तान को नसीहततस्वीर: picture-alliance/dpa

इस बीच क़साब को दोषी करार दिए जाने पर विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने भी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की. विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा, ''इस फ़ैसले से कानून और स्वतंत्र न्याय व्यवस्था की पुष्टि हुई है.''

गृहमंत्री पी चिदंबरम ने इस मौक़े पर पाकिस्तान को नसीहत दी. अंसारी और सबाहुद्दीन की रिहाई का ज़िक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा, ''कोर्ट ने एक आरोपी को दोषी करार दिया और अन्य आरोपियों को बरी करार दिया. इससे पता चलता है कि हमारी अदालतें स्वतंत्रता, निडरता और अखंडता के साथ काम करती हैं.''

गृह मंत्री के बयान के बाद यह सवाल उठने लाज़िमी है कि अगर पुलिस के पास अंसारी और सबाहुद्दीन के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत ही नहीं थे तो डेढ़ साल तक दोनों को आतंकवादियों की तरह क्यों पेश किया गया. हालांकि अभियोजन पक्ष का कहना है कि वह निचली अदालत के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करने की योजना बना रहे हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़