कश्मीरियों को फिर भूली सरकारः सईद
४ नवम्बर २०१०जम्मू कश्मीर में मुख्य विपक्षी पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पीडीपी) के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा है कि कश्मीर में शांति की उम्मीद करना तब तक बेकार है, जब तक भारत सरकार जनता की परेशानियों पर ध्यान नहीं देगी. उन्होंने कहा, "लोगों से यह उम्मीद करना कि वे शांति को मौका देंगे, अपने आप में एक अच्छा ख्याल है लेकिन जब तक सरकार अपने कठोर तरीकों का इस्तेमाल करती रहेगी, तब तक शांति की बात साकार नहीं हो सकती."
उन्होंने कहा कि कश्मीर पहले भी शांतिपूर्ण तरीके से बात अपनी बात कहता रहा है लेकिन सरकार समझने के बजाय अपने तौर तरीकों से मुद्दे को और उलझा रही है. उनके मुताबिक, "जहां कुछ कदम उठाने की जरूरत है, वहां सिर्फ शब्दों से काम नहीं चलेगा." यह बात सईद ने कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार के आठ सूत्रीय फॉर्मूला के बारे में कही. उन्होंने कहा कि सरकार फिर कश्मीर की जनता को भूल गई है. सरकार ने खुद ही सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून और सैनिकों की कटौती की बात उठाई थी, लेकिन अब जो भी हो रहा है, वह उसके बिल्कुल विपरीत है.
सईद ने कहा कि सरकार जिस तरह कश्मीर में मरने वाले लोगों की संख्या में कमी की बात कर रही है, वह अपने आप में बहुत क्रूर है. कश्मीर कभी भी 11 युवाओं को गोलियों से भूनने की बात नहीं भूल सकता. उन्होंने कहा कि सरकार को आम आदमी को राहत पहुंचानी चाहिए. खासकर उन लोगों को, जिन पर इस संकट की सीधी मार पड़ी है.
वहीं जम्मू कश्मीर में सत्ताधारी नैशनल कांफ्रेंस के नेता और केंद्रीय अक्षय ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने कहा कि उनकी पार्टी को अंदरूनी और बाहरी तत्वों से खतरा है. जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में अब्दुल्लाह ने कहा, "जैसा पहले भी हुआ है, नैशनल कांफ्रेंस को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है." किसी खास व्यक्ति की तरफ संकेत किए बिना उन्होंने कहा कि देश के बाहर और भीतर पार्टी के दुश्मन पार्टी को खत्म करने की कोशिश करते आ रहे हैं.
फारूक अब्दुल्लाह ने कहा कि अब नई पीढ़ी को पार्टी की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए. साथ ही उनका कहना है कि आजकल हर गली और मोहल्ले से ऐसे नेता निकल रहे हैं जो चाहते हैं कि देश का बंटवारा हो जाए और कोई भी अपने अधिकारों के बारे में बात न कर सके. कश्मीर में नैशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस पार्टी की गठबंधन की सरकार है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः ए कुमार