1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कम्प्यूटर की मदद से सेहत

Priya Esselborn२ नवम्बर २०१२

कभी कभी आसान सी रिसर्च लोगों के लिए बड़ी मदद बन सकती है. मोरित्स ग्रोसे वेन्ट्रुप माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट में ब्रेन-कम्प्यूटर इंटरफेस पर काम कर रहे हैं. यह इंसानी दिमाग और कम्प्यूटर को जोड़ता है.

https://p.dw.com/p/16c6f
तस्वीर: DW

33 वर्षीय वेन्ट्रुप इसके व्यावहारिक पहलुओं पर काम कर रहे हैं. अगर प्रयोग कामयाब रहता है तो स्ट्रोक के मरीजों को अपने शरीर को फिर से जल्द सक्रिय बनाने में मदद मिलेगी. वे ऐसा प्रोग्राम तैयार कर रहे हैं जिसकी मदद से कम्प्यूटर दिमाग के सिग्नल को समझ पाएगा. वेन्ट्रुप का कहना है कि यह मरीज और कम्प्यूटर के बीच लेनेदेन की प्रक्रिया है. अगर एक बार कम्प्यूटर दिमागी सिग्नल को समझने लगे तो फिर उसकी मदद से मशीन को चलाया जा सकता है.

Nervenzelle einer Schlammschnecke, Neurochip
तस्वीर: : Max-Planck-Institut für Biochemie, Infineon Technologies

परीक्षणों में पता चला है कि मांशपेशियों को हिलाए बिना ही कम्प्यूटर को सिग्नल मिलने लगता है और सोचने की शक्ति से उसे निर्देश मिलने लगता है. इस विधि से मशीनी हाथ की मदद से असली हाथ को हिलाया जा सकता है. इस हरकत से दिमाग दोबारा सीख सकता है और उसके खराब हो चुके हिस्से फिर से ठीक हो सकते हैं.

इसी तरह न्यूरो सर्जन दिमाग में इलेक्ट्रोड डालकर मस्तिष्क के उस हिस्से को स्टिमुलेट कर सकते हैं जो बीमार और नाकाम हो गया हैं. दिमाग के इन हिस्सों को सक्रिय कर बीमारियों से निजात पाया जा सकता है.

03.02.2012 DW Projekt Zukunft Neurochip
तस्वीर: DW

कम्प्यूटर की मदद से इंसान को फिर से सक्रिय करने के प्रयासों पर रिपोर्ट आप देख सकेंगे डीडब्ल्यू के विशेष कार्यक्रम मंथन में. मंथन हर शनिवार सुबह साढ़े दस बजे भारतीय चैनल डीडी-वन पर प्रसारित किया जाता है.

ताजा अंक में आप यह भी जानेंगे कि कसरत इंसान के लिए कितनी जरूरी है. आम तौर पर डॉक्टर कहते हैं कि व्यायाम करने से आदमी सेहतमंद रहता है. लेकिन ताजा शोध बताते हैं कि कसरत सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि दिमाग की सेहत के लिए भी बहुत जरूरी है. जर्मनी के दो मेडिकल संस्थाओं में इसे लेकर व्यापक शोध चल रहा है. ऑफिस के तनाव से सेहत पर होने वाले बुरे असर और ब्लड प्रेशर या दिल के रोग जैसी बीमारियों को रोकने के लिए खेल कूद जरूरी है. जर्मनी में बहुत से लोग अब दफ्तर के बाद मुक्केबाजी कर तनाव से राहत पा रहे हैं.

आईबी/ओएसजे

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें