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'कनाडा का लापरवाही से हुआ कनिष्क हादसा'

१८ जून २०१०

कनाडा के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हुआ 1985 का कनिष्क हादसा. कनाडा की जांच समिति ने कहा कि एयर इंडिया के विमान पर बम हमले की आशंका के बावजूद हमारे अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर लापरवाही बरती.

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तस्वीर: AP

गुरुवार को जांच समिति ने हादसे से संबंधित तथ्यों का खुलासा किया. सरकारी प्रवक्ता दिमित्री सूदास ने एक खास बैठक में पीड़ित परिवारों से कहा कि सरकार प्रस्तावों पर 'सकारात्मक' कार्रवाई करेगी.

जांच पैनल की अध्यक्षता जस्टिस जॉन मेजर कर रहे हैं. मेजर के मुताबिक रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और कैनेडियन सेक्यूरिटी इंटेलिजेंस सर्विस ठीक तरह से काम नहीं कर पाईं. उनके मुताबिक फ्लाइट में धमाके से पहले ही उनके पास बहुत सी जानकारी थी जिसका उन्होंने ठीक तरह से इस्तेमाल नहीं किया. चेतावनी के तौर पर एयर इंडिया ने ही एक संदेश भेजा था कि सामान में बम होने की आशंका है.

मेजर के मुताबिक हादसे के बाद भी जांच के दौरान दोनों एजेंसियां एक दूसरे से सहयोग नहीं कर पा रही थीं. 1985 में कनाडा से चला एयर इंडिया का विमान एक धमाके के बाद आयरलैंड के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. हादसे में 329 लोग मारे गए जिनमें ज़्यादातर कनाडा के नागरिक शामिल थे. माना जाता है कि विस्फोटक सामग्री को सामान के बीच छिपाया गया था. आज तक धमाके के सिलसिले में केवल इंदरजीत सिंह रायत को पकड़ा गया है. जनसंहार के आरोप में उसे 15 साल की सज़ा हुई थी. उसे जुलाई 2008 में ज़मानत पर रिहा किया गया था. उसपर अन्य आरोपियों, रिपुदमन सिंह मलिक और आजायब सिंह बागरी की सुनवाई के दौरान झूठ बोलने के आऱोप लगे हैं और इस सुनवाई के लिए उसे रिहा किया गया है.

Kanadas Premier entschuldigt sich bei indianischen Ureinwohnern
पीड़ित परिवारों के पास पहुंचे हार्परतस्वीर: AP

रिपोर्ट के मुताबिक 'कनाडा के इतिहास का यह सबसे बड़ा जनसंहार है.' कई संगठनों और प्रबधनों ने अपना काम सही तरह से नहीं किया. हादसे वाले दिन ही जापान में भी एयर इंडिया के एक विमान में बम रखे जाने की कोशिश की गई जिसे एयरपोर्ट के अधिकारियों ने नाकाम कर दिया. अभियोजन पक्ष के वकीलों ने उस वक़्त कहा था कि यह धमाका कनाडा के सिख उग्रपंथियों की साजिश थी जो 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भारत सरकार के 'हमले' का बदला लेना चाहते थे.

जस्टिस मेजर के मुताबिक उनकी रिपोर्ट इतनी अहम है कि सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि जांच समिति के प्रस्तावों पर अमल किया जाए और इसकी निगरानी के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए. वकीलों के मुताबिक प्रस्तावों को कार्यान्वित करने में बहुत ज़्यादा खर्चा नहीं होगा. वकील मार्क फ्राइमैन ने कहा कि प्रस्तावों के ज़रिए वे नई नौकरशाही नहीं बनाना चाहते हैं लेकिन कनिष्क मामले में सही फैसले नहीं लिए गए और जानकारी का इस्तेमाल ठीक तरह से नहीं किया गया. अगर इन बातों का ध्यान रखा जाता तो हादसे को टाला जा सकता था.

इस बीच कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने गुरुवार को विस्फोट में मारे गए लोगों के परिवारों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जांच समिति के प्रस्तावों के मुताबिक उन्हें मुआवज़ा दिलाएगी. प्रधानमंत्री हार्पर ने कहा कि जांच शुरू करने का मकसद था कि हादसे से प्रभावित लोगों को उनके सवालों के जवाब मिलें औऱ इस तरह की दुर्घटना को रोकने के लिए भविष्य में हर तरीका अपनाया जाए. उन्होंने कहा, "हम कमिश्नर मेजर को उनके काम के लिए धन्यवाद देते हैं और एक बार फिर उन सारे परिवारों का दुख बांटते हैं जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खोया है." सरकार ने कहा है कि वह जांच समिति के प्रस्तावों पर विचार करेगी.

जांच समिति ने यह प्रस्ताव भी रखे हैं कि आतंकवाद के सिलसिले में अदालतों को अपनी प्रक्रियाएं सरल और कारगार करनी होंगी, गवाहों की सुरक्षा का ध्यान देना होगा और आतंकवाद से संबंधित प्रक्रियाओं के लिए एक प्रमुख नियुक्त करना होगा.समिति ने आंतकवाद के शोध के लिए एक संस्था भी खोलने की बात कही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः ओ सिंह